नाहन – शिलाई खंड की दुर्गम पंचायत जरवा गांव से संबधित व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बलिराम के बेटे 29 वर्षीय सुरेंद्र ठाकुर ने एचएएस की परीक्षा में तीसरा रैंक हासिल किया है। इससे ट्रांसगिरी क्षेत्र के साथ-साथ सिरमौर का नाम रोशन हुआ है। खास बात यह भी है कि सुरेंद्र ने यह रैंक अनारक्षित श्रेणी में हासिल किया है। यह अलग बात है कि सुरेंद्र का अल्टीमेट गोल आईएएस है। गत वर्ष सुरेंद्र को इसी परीक्षा में 16वां रैंक हासिल हुआ था। लेकिन युवक की जिद टॉप थ्री में आने की थी। लिहाजा नौकरी के साथ-साथ सुरेंद्र ने एचएएस की तैयारी को जारी रखा। कडी मेहनत का फल सुुरेंद्र को सोमवार को उस वक्त मिला, जब एचएएस की परीक्षा का अंतिम नतीजा घोषित हुआ। इस वक्त सिरमौर में ट्रांसगिरी में सबसे पिछडा क्षेत्र शिलाई ही है। इस क्षेत्र से निकलकर एचएएस की परीक्षा में तीसरा रैंक हासिल करना आसान नहीं है। सुरेंद्र के पिता वन विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है, जबकि माता मुर्तो देवी गृहिणी है। इस वक्त सुरेंद्र सोलन में तहसीलदार के पद पर तैनात है। अब तीसरा रैंक मिलने के बाद सुरेंद्र की नियुक्ति बतौर एसडीएम हो सकती है। एचएएस की मई 2014 में आयोजित छंटनी परीक्षा में लगभग 40 हजार उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया था। इसके बाद अक्तूबर में एचएएस (मेन) की परीक्षा आयोजित हुई थी। इसके आधार पर 600 प्रत्याशियों का चयन साक्षात्कार के लिए हुआ था। अंतिम चयनित 30 प्रत्याशियों की सूची सोमवार को घोषित की गई। डिग्री कालेज सोलन से 2007 में सुरेंद्र ने ग्रेजुएशन की। इसके बाद पंजाब युनिवर्सिटी से पीजी की डिग्री ली। बातचीत में सुरेंद्र ने कहा कि ग्रेजुएशन करने के बाद वह लगातार इस परीक्षा को उतीर्ण करने की कोशिश में लगे थे, लेकिन छठी कोशिश में पिछले साल सफलता मिल गई थी, लेकिन 16वें रैंक से संतोष न होने के कारण दोबारा परीक्षा देने का मन बनाया। उनका कहना है कि इस परीक्षा को उतीर्ण करने के लिए विषय के साथ-साथ सामान्य ज्ञान में मेहनत करनी होती है।
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