सोलन, 12 जून : हिमाचल प्रदेश में “सुक्खू सरकार” पार्टी से बगावत करने वालों को बख्शने के मूड में नहीं है। विधानसभा की तरह एक राजनीतिक घटनाक्रम “सोलन” नगर निगम ( Municipal Corporation solan) में मेयर व डिप्टी मेयर (Mayor and Deputy Mayor) के चुनाव में भी हुआ था। चुनाव की डगर के अंतिम क्षण में पार्टी की नेत्री ने हॉट सीट को पाने की चाह में भाजपा से हाथ मिला लिया था, जिसमें कांग्रेस को चुनाव में शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था।
![](http://mbmnewsnetwork.com/wp-content/uploads/2024/06/solan-mc.jpg)
ताजा घटनाक्रम में नगर निगम की मेयर उषा शर्मा को अयोग्य करार दिया गया है, साथ ही निगम की पूर्व मेयर व पार्षद पूनम ग्रोवर भी पद के लिए अयोग्य घोषित कर दी गई है। मतलब ये है कि सोलन नगर निगम में भी दो वार्ड में उपचुनाव होगा। हालांकि, डिप्टी मेयर के पद पर भाजपा की मीरा आनंद बनी हुई है।
दरअसल, नगर निगम के 17 वार्डों के पार्टी चुनाव चिन्ह पर हुए थे। कांग्रेस ने 9 सीटों पर जीत हासिल की थी। भाजपा के हिस्से 7 सीटें आई थी। एक निर्दलीय ने चुनाव में जीत हासिल की थी। मेयर व डिप्टी मेयर (Mayor and Deputy Mayor) के चुनाव को लेकर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष व पार्षद सरदार सिंह ठाकुर ने आरोप लगाया था कि मेयर व डिप्टी मेयर के चुनाव के दौरान पार्टी की पार्षद पूनम ग्रोवर, उषा शर्मा, राजीव कुमार व अभय शर्मा ने पार्टी के निर्देशों की पालना नहीं की, जबकि चुनाव पार्टी सिंबल पर हुए थे।
तीनों पार्षदों ने पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को वोट नहीं दिए। उपायुक्त मनमोहन शर्मा के स्तर पर विस्तृत जांच की गई। उपायुक्त ने जांच रिपोर्ट में कहा कि उषा शर्मा व पूनम ग्रोवर के खिलाफ हिमाचल प्रदेश एमसी एक्ट 1994 की धारा-8 ए के तहत कार्रवाई हो सकती है, क्योंकि वो दल-बदल की परिधि में भी पाए गए हैं। वहीं, उपायुक्त ने रिपोर्ट में ये भी कहा था कि पार्षद राजीव कुमार व अभय शर्मा का कंडक्ट भी कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ था, लेकिन ये साबित नहीं हुआ है कि उन्होंने भी कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ वोट डाला है या नहीं।
सोलन के उपायुक्त मनमोहन शर्मा की विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव देवेश कुमार के स्तर पर मेयर उषा शर्मा व पूनम ग्रोवर को पार्षदों के पद से अयोग्य ठहराया गया है।
ये है अंकगणित…
चुनाव के दौरान 17 में से 9 सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया था। भाजपा के 7 पार्षदों की वजह से कांग्रेस की उषा शर्मा महापौर बनने में सफल हो गई थी, वहीं भाजपा की मीरा आनंद को उप महापौर की कुर्सी मिल गई थी। एक निर्दलीय प्रत्याशी मनीष सोपाल ने भी चुनाव जीता था। दो पार्षदों को अयोग्य ठहराए जाने के बाद सोलन नगर निगम के तीन वार्डों में उप चुनाव होगा। वार्ड नंबर 5 में भाजपा के पार्षद कुलभूषण गुप्ता के निधन के कारण भी उप चुनाव होना है।
यदि मौजूदा हालात की चर्चा की जाए तो कांग्रेस के पास 7, भाजपा के पाले में 6 व एक निर्दलीय पार्षद है। देखना ये है कि महापौर के चुनाव को उप चुनाव से पहले करवाया जाता है या इसे लंबित रखा जाता है। जानकारों का कहना है कि एक्ट के मुताबिक एक माह के भीतर मेयर का पद भरा जाना जरूरी है।
बहरहाल, अगर मौजूदा 14 पार्षदों में से चुनाव होता है तो निर्दलीय पार्षद गेम चेंजर बन सकता है। चूंकि, मेयर का पद आरक्षित नहीं है, लिहाजा कांग्रेस द्वारा निर्दलीय को उप महापौर की कुर्सी का ऑफर दिया जा सकता है। बशर्ते, पहले डिप्टी मेयर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो।
उधर, नगर निगम की आयुक्त एकता काप्टा ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि मौजूदा में नगर निगम के सदन में 14 पार्षद हैं। दो को अयोग्य ठहराया गया है, जबकि एक का निधन हो चुका है।
ये थे घटनाक्रम…
5 दिसंबर 2023 को नगर निगम सोलन के महापौर पद पर कांग्रेस के नाराज खेमे की उषा शर्मा (Usha Sharma) ने चुनाव में जीत हासिल कर ली थी, जबकि डिप्टी मेयर के पद पर भाजपा की मीरा आनंद ने जीत दर्ज हासिल की थी। शर्मा ने कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी सरदार सिंह को 5 मतों से हराया, जबकि उप महापौर (Deputy Mayor) मीरा आनंद ने कांग्रेस की संगीता शर्मा को 6 मतों से पराजित किया। चुनाव में मेयर पद के लिए 17 में से 11 वोट लेकर शर्मा जीत गई थी।
भाजपा की मीरा आनंद को 12, जबकि संगीता को 5 वोट मिले। कांग्रेस ने सरदार सिंह, भाजपा ने सुषमा शर्मा को उतारा। लेकिन कांग्रेस के नाराज धड़े की उषा शर्मा ने बागी होकर पर्चा दायर किया था। नजाकत को भांपते हुए भाजपा ने अपने प्रत्याशी का नाम वापस ले लिया। साथ ही कांग्रेस की बागी से जोड़-तोड़ कर लिया। बहुमत के बावजूद कांग्रेस को शर्मसार होना पड़ा था।
@R1