शिमला, 12 जून : बैंक के दो अधिकारियों ने गजब का कारनामा करते हुए खाताधारक की मौत के 32 साल बाद खाते की सारी रकम निकाल ली। बैंक के प्रबंधक (प्रशासन व सेवा) और विशेष सहायक ने आपसी मिलीभगत से एक मृतक खाता धारक के निष्क्रिय खाते (inactive accounts) को सक्रिय (Active) कर दो लाख रुपए से अधिक की राशि हड़प ली। मामले का खुलासा तब हुआ, जब बैंक के उद्यम धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन प्रणाली (Enterprise Fraud Risk Management System) ने लेनदेन पर जांच बिठाई। मामला राजधानी शिमला के मॉल रोड स्थित बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) में सामने आया है।
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दरअसल, बैंक के खाताधारक की मृत्यु 1992 में हो गई थी, उसका खाता लंबे समय तक लेन-देन न होने की वजह से निष्क्रिय हो गया था। बीते मार्च महीने में दोनों अधिकारियों ने जालसाजी (Fraud) कर उक्त खाते में जमा दो लाख आठ हजार की राशि निकाल ली। उनकी इस हरकत पर बैंक प्रबंधन भी दंग रह गया। पुलिस ने बैंक के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक की तहरीर पर आरोपी बैंक प्रबंधक (प्रशासन व सेवा) योगेश और विशेष सहायक विजय के खिलाफ धोखाधड़ी सहित विभिन्न आपराधिक धाराओं में केस दर्ज कर लिया है। बैंक प्रबंधन ने दोनों आरोपी बैंक अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। शिमला में धोखाधड़ी की इस घटना ने बैंक के खाताधारकों को भी सकते में डाल दिया है।
मामले के अनुसार दिनांक 11 मार्च 2024 को बैंक के उद्यम धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन प्रणाली ने बैंक के खाता धारक एसपी मदान के लेन-देन की वास्तविकता की जांच के लिए बैंक शाखा को एक मेल भेजा था। जांच में पाया गया खाता धारक का खाता काफी समय से निष्क्रिय था और उसमें दो लाख से अधिक की रकम थी। बैंक के दो अधिकारियों प्रबंधक (प्रशासन व सेवा) योगेश और विशेष सहायक विजय ने पहुंच देकर जान-बूझकर खाते को सक्रिय किया।
आरोपियों ने बैंक अधिकारियों ने झूठे दस्तावेजों के आधार पर खाते से 2 लाख 8 हजार रुपए हड़प लिए। बैंक ऑफ इंडिया के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक अंकुश रांगटा ने इस पूरे मामले की सदर थाने में शिकायत दर्ज करवाई है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी बैंक अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा-420, 467, 468, 471 व 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।