शिमला, 19 अप्रैल : मंडी जिला के सुंदरनगर के राज्य स्तरीय नलवाड़ मेले में पेड़ों को छलनी कर सीसीटीवी लगाने का मामला सामने आया है। मेले की निगरानी के लिए स्थानीय प्रशासन की ओर से सीसीटीवी कैमरों को पेड़ों पर कथित तौर पर नुकीली कीलों से ठोक स्थापित किया गया है। इससे पर्यावरणविदों में आक्रोश फैल गया है। पर्यावरणविदों ने स्थानीय प्रशासन की इस हरकत पर चिंता जताते हुए इसे पर्यावरण से खिलवाड़ करार दिया है।
क्रयाश चैरिटेबल ट्रस्ट के डॉ. धर्मेश शर्मा ने इस मामले की हिमाचल प्रदेश की हाईकोर्ट में शिकायत कर उचित कार्रवाई की मांग की है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में उन्होंने स्थिति की गंभीरता पर प्रकाश डाला और हाईकोर्ट के तत्काल हस्तक्षेप का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि पेड़ों को छलनी कर बांधे गए सीसीटीवी कैमरे धीरे-धीरे इन्हें खत्म कर देते हैं। इससे पेड़ों को हानि पहुंचती है। उनका कहना है कि इससे पेड़ों का विकास अवरुद्ध होता है और संक्रमण होने से पेड़ सुख जाते हैं। पेड़ों के सूखने से हमारे ही पर्यावरण का नुकसान होता है। उन्होंने अफ़सोस जताया कि ढेर सारे नियम औऱ कानून होने के बावजूद लोग उनका उल्लंघन करते रहते हैं। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के भी फैसले आये हैं।
डॉ. धर्मेश शर्मा ने पेड़ों के साथ दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए कहा कि भविष्य में इसी तरह की घटनाओं को रोकने के लिए त्वरित कार्रवाई जरूरी है। उनका कहना है कि ऐतिहासिक मेले के दौरान निगरानी उपकरणों के लिए पेड़ों को माउंट के रूप में उपयोग करना सही कदम नहीं है। उन्होंने इसे पेड़ों की सुरक्षा से खिलवाड़ करार दिया। उन्होंने इससे पेड़ों को होने वाले संभावित नुकसान और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव के संबंध में चिंता जताई है।
डॉ. धर्मेश शर्मा ने यह भी कहा कि हरे-भरे पेड़ों को नुकीली किलों व तारों से जकड़ने और होर्डिंग्स लगाने के मामले में उनकी ओर से दायर एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने इसी साल जनवरी महीने में राज्य के सभी जिलाधीशों से जवाब तलब किया था। इस सम्बंध में जनहित याचिका के आधार पर सभी उपायुक्तों को प्रतिवादी बनाया गया है।
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