सोलन, 27 मार्च : हाल ही में स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा नाबालिग छात्रों से ही कथित धन उगाही के मामले ने नया मोड़ लिया है। शिकायत करने वाले पेरेंट्स के खिलाफ ही उल्टा केस दर्ज हो गया है। कथित तौर पर धन उगाही में संलिप्त आरोपी छात्रों को पुलिस की क्लीन चिट मिल गई है।
जांच में ये साबित हुआ है कि वारदात में संलिप्त आरोपी छात्रों को पीड़ित विद्यार्थियों के माता-पिता ने गैर कानूनी तरीके से भी डिटेन किया था। साथ ही मारपीट व गाली गलौज का वीडियो भी वायरल कर दिया था। आरोपी छात्रों का चिकित्सा परीक्षण भी करवाया गया। झूठी शिकायत करवाने वाले आरोपी पेरेंट्स के खिलाफ सदर थाना में आईपीसी की धारा-323, 342 व 34 के अलावा जूविनाइल जस्टिस एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ है।
जांच में ये भी सामने आया है कि स्कूली छात्रों को ऑनलाइन गेमिंग की आदत थी, इसी कारण दो छात्रों के खिलाफ उगाही की झूठी पटकथा लिख खुद को बचाने की कोशिश की गई। 18 मार्च को सामने आए कथित उगाही के मामले ने सनसनी पैदा कर दी थी।
देवठी की रहने वाली उर्मिला वर्मा ने पुलिस को बताया था कि उनका बेटा दसवीं कक्षा में पढ़ता है। बेटे की सूचना के आधार पर महिला ने ये भी कहा था कि नौंवी कक्षा में पढ़ने वाले उसके दो दोस्त डरा-धमका कर पैसे मांगते हैं। महिला ने ये भी कहा था कि उनके बेटे व उसका दोस्त करीब पौने 3 लाख रुपए दे चुका है।
पुलिस ने आईपीसी की धारा-384 के तहत मामला दर्ज किया। शिकायत के दौरान शिकायतकर्ता अपने साथ ही दोनों आरोपी नाबालिग छात्रों को भी लेकर पहुंचे थे। पुलिस ने परिजनों की मौजूदगी में छात्रों से पूछताछ की थी। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, वैसे-वैसे मामले में नई परतें उधड़ने लगी।
ये पता चला कि आरोपी छात्र भी शिकायत करने वाले छात्र के साथ ही पढते हैं। इसके अलावा बाकी छात्र शहर के अलग-अलग स्कूलों में पढ़ते हैं। जांच में पता चला कि ये तमाम छात्र आपस में ही पैसे इकट्ठे करने के बाद एक दुकान पर ऑनलाइन गेम खेलने के लिए खर्च करते थे। स्कूल के साथ ही साइबर कैफे से ऑनलाइन गेमिंग के लिए रिचार्ज करवाते थे। 5 व 6 मार्च को भी स्कूली छात्रों द्वारा फ्री फायर गेमिंग का रिचार्ज करवाया गया था।
18 साल का एक युवक ऑनलाइन गेमिंग की आईडी भी बेचता था। आपस में आईडी की खरीद फरोख्त भी करते थे। जांच में ये भी पाया गया कि ये छात्र ऑनलाइन गेमिंग के लिए स्कूली छात्रों से पैसा इकट्ठा करते थे। 18 मार्च को छात्रों के कब्जे से हथियार बरामद नहीं हुए थे। बता दें कि शिकायत में कहा गया था कि स्कूली छात्रों द्वारा चाकू की नोक पर उगाही की जाती है।
शिकायतकर्ता द्वारा इस बात का भी रिकाॅर्ड उपलब्ध नहीं करवाया जा सका कि आरोपियों द्वारा कितनी राशि दी गई है। साथ ही इसका भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया कि घर में इतने पैसे कैसे रखे हुए थे। पुलिस द्वारा जांच में पाया गया कि स्कूल में भी कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई गई थी। जांच में कोई ऐसो साक्ष्य सामने नहीं आया कि जिसमें ये सामने आया हो कि आरोपी छात्रों का गैंग से संबंध हो या फिर वो नशा तस्करी में संलिप्त रहे हों।
दिसंबर से स्कूल में छुट्टियां थी, फरवरी में स्कूल खुले थे। कक्षा में भी छात्रों से कई बार पैसे मिले थे, जिसकी सूचना प्रबंधन द्वारा परिजनों को दी गई थी, लेकिन परिजनों द्वारा प्रबंधन से कोई संपर्क नहीं किया गया। पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह ने शिकायतकर्ता के खिलाफ ही मामला दर्ज होने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि असंवेदनशील व गैर कानूनी तरीके पर आरोपी छात्रों का चिकित्सा परीक्षण करवाया गया। मारपीट का वीडियो वायरल करने वाले के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है।