मंडी, 29 फरवरी : हिमाचल प्रदेश के मंडी जनपद की एथलीट कुसुम ठाकुर ने “खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स” 2023 के चौथे संस्करण में प्रतिभा का लोहा मनवाया है। प्रतियोगिता में कुसुम ठाकुर ने दो मेडल अपने नाम किए हैं। 200 मीटर दौड़ में कुसुम ने गोल्ड व 100 मीटर दौड़ में सिल्वर मैडल हासिल किया है। कुसुम ने न केवल जिला का नाम रोशन किया है, बल्कि देश में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी शिमला (HPU Shimla) का डंका भी बजाया है। प्रतियोगिता असम के गुवाहाटी में आयोजित की गई। 200 विश्वविद्यालयों के करीब 4500 धावकों ने इसमें हिस्सा लिया।
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2023 ( Khelo India University Games) में हिमाचल ने केवल दो गोल्ड मैडल किए, जिसमें एक की भागीदारी कुसुम ठाकुर की है। दिसंबर 2023 में ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में गोल्ड मैडल जीतकर कुसुम ने “खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स” के लिए क्वालीफाई किया था।
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की कुसुम ठाकुर ने 200 मीटर की दौड़ को 24.74 सेकंड में पूरा कर स्वर्ण पदक हासिल किया। राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ने के लिए कुसुम को करीब दो सेकंड का सुधार करना होगा। खास बात ये भी है कि कुसुम ठाकुर ने 100 मीटर की दौड़ को 12.22 सेकंड में पूरा कर रजत पदक भी हासिल किया है, शिवाजी जी यूनिवर्सिटी की धावक ने सुदेशना दौड़ को 12.01 सेकंड में पूरा कर गोल्ड मैडल जीता, यानि कुसुम एक सेकंड के 22वें हिस्से से पिछड़ी।
कुसुम ने सुदेशना से 100 मीटर की दौड़ का बदला 200 मीटर में लिया। बता दें कि सुदेशना को 200 मीटर में दूसरा स्थान हासिल हुआ। 400 मीटर की दौड़ को प्रिया ठाकुर ने 55.58 सेकंड में पूरा कर कांस्य पदक जीता, जबकि 55.66 सेकंड में दौड़ पूरी करने वाली हिमाचल की मनीषा कुमारी चौथे स्थान पर रही।
कॉलेज छात्रा की कामयाबी इस वजह से भी असाधारण है, क्योंकि करीब ढाई साल पहले 19 साल की उम्र कुसुम के दोनों फेफड़ों में पानी भर गया था, डॉक्टरों ने यह तक कह दिया था कि वो मैदान में कदम तक नहीं रख सकेगी। असंभव को संभव कर कुसुम ठाकुर ने ऐसी इबारत लिखी है, जो जीवन से हार मान लेने वालों के लिए सबक है।
हिम्मत व हौसले के बूते कुसुम ठाकुर पहाड़ी प्रदेश “हिमाचल” की पहली स्प्रिंटर बनने का गौरव भी हासिल कर चुकी है। मंडी जनपद के पंडोह की बैल्ला पंचायत की 21 वर्षीय कुसुम ठाकुर ने रियल लाइफ में उस कहावत को भी चरितार्थ किया है जिसमें कहा जाता है पंखों से कुछ नहीं होता, हौंसलों में जान होनी चाहिए।
मंडी के वल्लभ महाविद्यालय (Vallabh College of Mandi) में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा कुुसुम ठाकुर ने कहा, चौथी कक्षा में भाई हरीश के साथ दौड़ना शुरू किया था। 19 साल की उम्र में कोविड के दौरान जीवन में उस समय अंधकार हो गया, जब दोनों फेफड़ों में पानी भर गया था। चिकित्सकों ने फौरन ही रनिंग को स्टॉप करने को कहा। दो साल तक ट्रैक पर नहीं गई। दिसंबर 2022 में ट्रैक पर कदम रखा तो पांव कांप रहे थे, मन में एक डर भी था, लेकिन हौसला बरकरार रहा था।
कुसुम ने कहा कि रोजाना 6 से 7 घंटे की प्रैक्टिस करती है। मंडी के साथ-साथ धर्मशाला में भी प्रैक्टिस करती है। बहरहाल, असाधारण सफलता की दास्तां लिखने वाली “बेटी” को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।