मंडी,19 फरवरी : कारगिल युद्ध (kargil war) के हीरो से अलग पहचान बनाने वाले ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर (Brigadier Khushal Thakur) ने एक बार फिर से चुनावी मोर्चा संभालने की तैयारी कर ली है। 2021 में हुए उपचुनाव में ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को भाजपा (BJP) ने अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा था, लेकिन उन्हें 7490 मतों के मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। स्व. वीरभद्र सिंह के नाम पर कांग्रेस (Congress) प्रत्याशी प्रतिभा सिंह को श्रद्धांजलि के रूप में जो वोट मिले, उसकी चोट ब्रिगेडियर साहब को सहनी पड़ी।
2024 के लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) के लिए ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने फिर से तैयारी कर ली है और शीर्ष नेतृत्व के समक्ष अपनी बात रखकर दावेदारी भी जता दी है। लेकिन पार्टी इनकी दावेदारी को सरदारी में बदलती है या नहीं इसका पता भविष्य में ही चल पाएगा। चुनाव हारने के बाद से ही ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर लगातार जनता के बीच में रहे। इन्हें कई कार्यक्रमों में मोटिवेशनल स्पीकर (motivational speaker) के तौर पर उन्हें बुलाया जाता है, क्योंकि कारगिल हीरो के नाम से एक अलग पहचान है।
जानिए क्यों कहा जाता है कारगिल युद्ध का हीरो
कारगिल युद्ध के दौरान ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने 18 ग्रेनेडियर यूनिट (Grenadier Unit) की कमान संभाली थी। इस यूनिट ने टाइगर हिल और तोलोलिंग की चोटियों से दुश्मनों को खदेड़कर वहां पर अपना कब्जा जमाया था। यहीं से युद्ध को जीतने का टर्निंग प्वाईंट भी बना। इनकी यूनिट को सबसे ज्यादा 52 वीरता पुरस्कार मिले और खुद इन्हें युद्ध सेवा मैडल से सम्मानित किया गया।
इसके अलावा विदेशी जमीन सिरालेयोन (Sierra Leone) में विद्रोहियों द्वारा बंदी बनाए गए 234 भारतीयों सहित कुल 240 जवानों को छुड़ाने के लिए भारत सरकार (Indian government) ने ऑपरेशन “खुखरी” चलाया, जिसकी कमान भी ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को सौंपी गई। इन्होंने इस ऑपरेशन को भी बखूबी अंजाम दिया और वहां शांति कायम करने में अपनी अहम भूमिका निभाई। भारतीय शांति सेना मिशन के तहत 1989-90 में श्रीलंका में लिट्टे के विरुद्ध लड़ाई में वीरता पुरस्कार मिला। ऑपरेशन रक्षक में कश्मीर में आतंकवादियों के विरुद्ध अभियान चलाया।
पटवारी से ब्रिगेडियर
9 सितंबर 1954 को जन्में मंडी जिला के नगवाईं गांव निवासी ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने कंप्यूटर साइंस (computer science) और मानवाधिकार में पोस्ट ग्रेजुएशन की है। 1972 में बतौर पटवारी सिलेक्ट हुए और 3 वर्षों तक सेवाएं दी। 1975 में सैन्य अधिकारी बने और 34 वर्षों तक सेवाएं देते हुए ब्रिगेडियर के पद से वर्ष 2010 में रिटायर हुए। 2010 से 2013 तक अटल टनल रोहतांग (Atal Tunnel Rohtang) की निर्माण कंपनी में जीएम रहे। 2013 तक ब्रिगेडियर साहब का राजनीति से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। 2014 और 2019 में भाजपा के पैनल में उनका नाम रहा।
जयराम सरकार में हिमाचल प्रदेश एक्स सर्विसमैन कारपोरेशन के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक बने। तीन वर्षों तक इस पद पर रहने के बाद वर्ष 2021 में उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी बने। 2014 में फोरलेन संघर्ष समिति के साथ जुड़े और विस्थापितों के हकों के लिए लड़ाई लड़ी। लेकिन सरकार का हिस्सा बनने पर इस बात की बडी चर्चा रही कि विस्थापितों के नाम पर राजनीति करने के बाद उन्हें भूल गए। उपचुनाव में हार का एक कारण यह भी माना जाता है। ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर एक शांत और मृदुभाषी स्वभाव के व्यक्ति हैं। हर व्यक्ति के साथ शालीनता और मधुरता के साथ मिलना और उसके साथ अपनेपन की तरह रहना ही उन्हें लोगों से जोड़ता है।