नेरचौक (कपिल सेन) : देश भर में स्वच्छता को लेकर न जानें कितने रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन धरातल पर नजर घुमाएं तो कुछ और ही नजर आता है। रोजाना समाचार पढ़ने-देखने को मिलता है कि बडे शहरों से लेकर छोटे कस्बों में सफाई को लेकर जनता व प्रशासन कितना सजग है।
वहीं नेरचौक में आलम यह है कि नगर परिषद होने के बावजूद भी पडी गंदगी से लोगों का जीना दूभर हो गया है। लोग फैली पडी गंदगी से नाक सिकोड़ने को मजबूर हो गए हैं। क्षेत्र में फैले कूड़े के ढेरों को कई दिनों तक उठाया ही नही जा रहा है।
राष्ट्रीय उच्चमार्ग-21 व राजमार्ग से सटे होने के कारण विदेशी पर्यटकों व रोजाना आने-जाने वाले लोगों के लिए गंदगी के ढेर स्वच्छ भारत के नाम पर भारतीयों के स्वच्छता के प्रति रवैये पर एक बदनुमा दाग का काम करता है। हालांकि स्थानीय व्यापार मंडल व अन्य समाजसेवी संस्थाओं द्वारा शहर को साफ-सुथरा रखने के सराहनीय प्रयास कई मर्तबा किए गए।
मगर नगर परिषद के बन जाने से स्थानीय लोगों में एक आस जगी थी कि अब शहर सुन्दर व स्वच्छ होगा, मगर हालात वही तस्वीर बयां कर रहें हैं। गंदगी के ढेरों से बदबू आने लगी है, नालियां बन्द पडी होने की वजह से मच्छर-मक्खियों के अधिक मात्रा में पैदा होने से बरसात के इस मौसम में बीमारियां फैलने का अंदेशा बना हुआ है। स्थानीय निवासियों राजू सेन, दलीप सिंह, महेंद्र, तिलक राज आदि का कहना है कि नेरचौक नगर परिषद बन जाने के उपरांत भी स्थिति ज्यों की त्यों बनी पडी है।
तकरीबन नगर परिषद बने 9 महीने होने को हैं मगर और सुविधाएं मिलना तो दूर की बात साफ-सफाई भी नहीं की जा रही है तो फिर नेरचौक को नगर परिषद बनाने का क्या फायदा हुआ। वहीँ इस बारे व्यापार मंडल के प्रधान अमृतपाल सिंह का कहना है कि नगर परिषद नेरचौक में कूड़ा-कचरा प्रबंधन के लिए ट्रेक्टर तो लगाया गया है। यदि फिर भी कहीं पर कचरा फैला हुआ है तो उसे तुरंत उठवा दिया जाएगा।
नेरचौक में समय-समय पर क्षेत्र में सफाई की जाती है। स्थानीय जनता अगर सफाई को लेकर सजग हों और प्रशासन का सहयोग करें तो नेरचौक को पूर्णतया साफ-सुथरा बनाया जा सकता है।जय गोपाल शर्मा- तहसीलदार बल्ह