राजगढ़, 20 मार्च : राजगढ़ शहर में जगह-जगह लगे कूड़े के ढेर किसी महामारी को दावत दे रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि शहर का कोई भी लावारिस नहीं है जो शहर को बढ़ती समस्याओं से निजात दिला सके। लिहाजा राजगढ़ शहर में एसडीएम, तहसीलदार और पच्छाद की विधायक का भी निवास स्थान है।
इसके बावजूद भी शहर लावारिस की भांति बदहाली के आंसू बहा रहा है। सरकार के स्वच्छता अभियान के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। लावारिस पशु और कुत्तों द्वारा कूड़ा दान को सारा कचरा सड़कों पर बखेरा जाता है। गर्मियों का मौसम शुरू हो गया है और शहर में गंदगी के कारण कोई भी महामारी फैल सकती है।
राजगढ़ शहर तीन जिलों का केंद्र बिंदू है जहां पर सिरमौर के अलावा सीमा पर लगते शिमला व सोलन जिला के सैंकड़ों लोग अस्पताल अथवा किसी भी कार्यालय के काम से आना जाना लगा रहता है। बता देें कि बीते तीस वर्षों से नगर पंचायत को कूड़ा कचरा के प्रबंधन के लिए डंपिग साईट नहीं मिल पाई है।
बीते कुछ वर्षों से राजगढ़ के समीप कोट ढांगर में एक निजी भूमि पर डंपिग साईट बनाई गई थी, परंतु भू-मालिक के साथ विवाद होने के कारण शहर का कचरा सड़कों पर बिखरा पड़ा है। डंपिग साईट न होने के कारण नगर पंचायत के प्रयास कचरा को सही तरीके से प्रबंधन करवाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। बीते कुछ वर्षों तक राजगढ़ शहर का कचरा सलोगड़ा डंपिग साईट में भेजा जा रहा, जिसके एवज में पांच हजार प्रतिमाह किराया दिया जाता था। सलोगड़ा कचरा प्रबंधन के अधिकारी द्वारा कचरा लेने से इंकार किया गया था।
इसके उपरांत कोट डांगर में 2 बीघा भूमि लीज पर ली गई है, जहां पर बीते कुछ वर्षों से विवाद चल रहा है। उन्होंने बताया कि राजगढ़ के समीप छमरोगा में प्रशासन के पास 9 बीघा भूमि हस्तांतरित करने का मामला अंतिम चरण पर था परंतु छमरोगा के आसपास के लोगों के विरोध के चलते यह भूमि हस्तांतरति नहीं हो सकी।
बताया कि डंपिग साईट न होने के कारण राजगढ़ शहर के कचरे को नगर पंचायत को मजबूरन दिल्ली भेजना पड़ रहा है। अब तक करीब पांच सौ टन कचरा दिल्ली भिजवाया जा चुका है। सचिव के अनुसार इस गंभीर समस्या बारे जिला व स्थानीय प्रशासन के अलावा चुने हुए प्रतिनिधियों को अनेको बार अवगत करवा दिया गया है ,परंतु आजतक कोई भी समाधान नहीं निकल पाया है।