सोलन (ब्यूरो):- सोलन के बसाल क्षेत्र में एक लम्बे अरसे से अवैज्ञानिक तरीके से चल रही रेत की खानों को लेकर अब लोगों ने तेवर तीखे करने का मन बना लिया है। आरोप है कि रेत के अवैज्ञानिक खनन से करोल के टिब्बे के अलावा जंगलो और लोगों को पर्यावरण के लिहाज से नुक्सान पहंुच रहा है। स्थिति इस कदर बिगड गयी है कि जहां स्थानीय प्रशासन इन खान मालिकों को कथित तौर पर संरक्षण देने में जुटा है वहीं इन खानों से प्रभावित स्थानीय निवासियों ने प्रशासन और खान मालिकों के दबाव के बावजूद अपने लक्ष्य को प्राप्त करने और रेत की खानों को बंद करवाने का मन बना लिया है। गौरतलब है कि गत दिनों उक्त खानों में भारी मलवा गिरा था जिसके चलते खान के साथ लगते घरों और आसपास के क्षेत्र में काफी समय तक धुल का गुबार बना रहा इस घटना के चलते स्थानीय लोगों ने खान मालिकों के खिलाफ आन्दोलन का मन बना लिया । कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी इन खानों के द्वारा करोल पर्वत की चार सौ फीट उंची अवैज्ञानिक खनन को बंद करवा दिया था । लेकिन खान मालिकों ने अपने रसुक के चलते इन खानों को फिर से शुरू करवा दिया। खान के साथ ही रहने वाले प्रेम लाल ने खान मालिकों के खिलाफ आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होनें अपनी परेशानियों को कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को बताया पर प्रशासन द्वारा इन खानों व इनके मालिकों के खिलाफ कोई भी कारवाई नहीं की गई। उन्होनें सरकार व प्रशासन से इन खानों को बंद करने की मांग की है। वहीं स्थानीय निवासी रतन ठाकुर ने कहा कि खान मालिकों द्वारा आसपास के जमीन मालिकों से कोई भी एनओसी खान के लिए नहीं ली गई है उन्होनें आरोप लगाया है कि खान मालिकों द्वारा खडे पेडों को काट दिया गया है जिसमें तकरीबन दो हजार पेड अपने स्वार्थ के लिए काट दिए और वह मांग करते है कि सरकार इन पर कठोर कारवाई करें । एक स्थानीय महिला ने कहा कि प्रशासन को कई बार बोलने पर प्रशासनिक अधिकारी मौके पर आये तो जरूर पर अधिकारी ने उनसे यह कहा कि लोगों ने यह मकान गलत बनाया है । उन्होनें कहा कि यहां रहने वाले सभी लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। भू खनन अधिकारी सोलन सुरेश भारद्वाज ने कहा कि समय समय पर खानों का निरीक्षण किया जाता है और अवैज्ञानिक तरीके से हो रहे खानों पर पूरी तरह से रोक है । समय – समय पर खान मालिकों को हिदायते दी जाती है।
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