राजगढ़, 14 मई : हि.प्र. भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा राज्य तथा जिला स्तर की लोक नृत्य प्रतियोगिता (folk dance competition) में लगातार बीते दस वर्षों से प्रथम स्थान हासिल करने पर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार जोगिन्द्र हाब्बी का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स तथा एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (India Book of Records and Asia Book of Records) में दर्ज करवा लोक नृत्य के क्षेत्र में ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित किया है।
बता दें कि जोगिन्द्र हाब्बी द्वारा सांस्कृति दलों आसरा और चूड़ेश्वर कला मंच का नेतृत्व करते हैं, जिन्होने सिरमौर की संस्कृति का देश व विदेश में उत्कृष्ट प्रदर्शन करके प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। यह दोनों रिकॉर्ड्स हाब्बी ने लगातार एक ही विभाग द्वारा एक ही व्यक्ति के नेतृत्व एवं निर्देशन में लोक नृत्य प्रतियोगिताओं ( folk dance competitions) में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए बनाए हैं। इंडिया बुक आफ रिकॉर्ड्स एशिया बुक आफ रिकॉर्ड्स की विशेषज्ञ समिति ने हाब्बी को बधाई देते कहा कि लगातार दस-ग्यारह वर्षों की मेहनत और लग्न से प्रथम स्थान बरकरार रखते हुए हम आपके धैर्य की सराहना करते हैं। कुछ समय पूर्व ही हाब्बी का इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज हुआ था और अब एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी नाम दर्ज कर चुके हैं। जिससे जिला सिरमौर की लोक संस्कृति की विश्व स्तर पर पहचान व मान और अधिक बढ़ गया है।
जोगेंद्र हाब्बी ने इन दोनों रिकॉर्ड्स का श्रेय अपने गुरु पद्मश्री विद्यानंद सरैक व सहयोगी कलाकारों को दिया और आसरा, चूड़ेश्वर मंडल के सभी कलाकारों का विशेष आभार व्यक्त किया है। उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित सुप्रसिद्ध लोक कलाकार गोपाल हाब्बी, प्रदेश के जाने-माने लोक गायक धर्मपाल चौहान व रामलाल वर्मा और सरोज ने दस बार भाग लेकर लगातार प्रथम स्थान बरकरार रखने में भरपूर सहयोग दिया। इसके अलावा बलदेव, अमीचंद, चमन, संदीप, अनुजा, सीमा, रीना, सुनपति, लक्ष्मी, प्रिया, सरस्वती, जितेंद्र, हंसराज, चिरंजीलाल, सोहनलाल, चेतराम, कृष्ण लाल, मुकेश, देवीराम, अनिल, रमेश, सुनील, बिमला, पायल, आदि कलाकारों ने भी कई बार इन प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेकर दल को प्रथम स्थान प्राप्त करने में पूर्ण सहयोग दिया है।
हाब्बी ने कहा कि हमारा दल सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में जिला सिरमौर का आदिकालीन ठोडा नृत्य, ढीली नाटी, रिहाल्टी गी, दीपक नृत्य, परात नृत्य, सिरमौरी मुंजरा, रासा व हुड़ग नृत्य, झुरी, सिंहटू तथा भड़ाल्टू नृत्य आदि लोक विधाओं को कोरियोग्राफ कर तथा समय सीमा में बांधकर एक गुलदस्ते के रूप में सिरमौरी हाटी जनजातीय संस्कृति के वास्तविक स्वरूप को प्रस्तुत करता आया है।
जोगेंद्र हाब्बी ने सभी कलाकारों की ओर से निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग और जिला भाषा अधिकारी का इस प्रकार की लोक नृत्य प्रतियोगिताएं आयोजित कर कलाकारों को अपना हुनर दिखाने का अवसर प्रदान करने के लिए तथा प्रतिस्पर्धाओं के निर्णायक मंडल के सभी सदस्यों का निष्पक्ष एवं निर्विवाद निर्णय के लिए हार्दिक आभार व्यक्त किया है।