नाहन (एमबीएम न्यूज): ग्रामीण परिवेश से निकल कर 18 वर्षीय प्रणव चौधरी ने आईआईटी में सफलता हासिल कर यह साबित कर दिया है कि लाखों रुपए की महंगी कोचिंग की बजाय घर पर भी पढ़ाई की जा सकती है। बशर्ते घर पर चंद घंटों की पढ़ाई पर पूरा ध्यान केंद्रित किया जाए। प्रणव की सफलता की यह कहानी देरी से सामने आई, लेकिन आई तो सही।
यह सफलता उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो इस बात को सोचते हैं कि कोचिंग के बगैर आगे कदम नहीं बढ़ सकते। 2 अक्तूबर 1997 को महिपाल चौधरी व सरोज देवी के घर पालियो पंचायत के गुमटी गांव में जन्मे प्रणव को आईआईटी वाराणसी में दाखिला मिला है। बेशक ही प्रणव ने देश भर में 226वां कैटेगरी रैंक हासिल किया, लेकिन अहम बात यह है कि प्रणव ने सामान्य श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले अभ्यार्थियों से अधिक अंक हासिल किए हैं। यानि अगर प्रणव सामान्य वर्ग में भी होते तो भी चयन सौ फीसदी तय था। प्रणव के पिता महिपाल चौधरी पेशे से प्राथमिक शिक्षक हैं।
अपनी इस सफलता पर एमबीएम न्यूज नेटवर्क से चर्चा करते हुए प्रणव ने कहा कि जमा दो की शिक्षा पूरी करने के बाद पहले मन में आया कि कोचिंग ली जाए। लेकिन फिर लीक से हटकर कुछ करने का ख्याल आया। फैसला लिया कि परिवार के कोचिंग पर लाखों रुपए खर्च करने की बजाय खुद ही घर पर पढ़ाई करेंगे। जेईई की प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम जब आया तो प्रणव को लेगा कि सफलता एक कदम दूर है। इसके बाद एडवांस परीक्षा में कामयाबी महज इस कारण मिली, क्योंकि बीएससी की पढ़ाई के साथ-साथ प्रणव ने एक पल भी नहीं गंवाया।
अब प्रणव 23 जुलाई को आईआईटी वाराणसी ज्वाइन करेगा। इसके बाद 28 जुलाई से सिविल ट्रेड में अपनी पढ़ाई शुरू करेगा। आईआईटी से पास आउट होने के बाद आईएएस की परीक्षा को लेकर िफलहाल प्रणव ने कोई फैसला नहीं लिया है।