शिमला, 12 अप्रैल : सांप को सामने देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। इस बात को भी नजर अंदाज कर दिया जाता है….सांप की हरेक प्रजाति विषैली नहीं होती। भीड़ में से इक्का-दुक्का लोग लाठी उठाकर सांप को मौत के घाट उतारने की बहादुरी दिखाने निकल पड़ते हैं।
ऐसा ही एक घटनाक्रम राजधानी के समीप तत्तापानी में घटित हुआ है। तत्तापानी में सड़क किनारे ‘वाइन स्नेक’ (Wine Snake) को मृत अवस्था में पाया गया। पदमश्री ओमेश भारती (Padam Shri Omesh Bharti) ने कहा कि सांप की ये प्रजाति हल्की विषैली होती है। 96 सैंटीमीटर लंबे सांप को मृत अवस्था में संरक्षित कर लिया गया है, क्योंकि ये दुर्लभ प्रजाति है।
डॉ. भारती इसे संरक्षित करने के बाद जेडएसआई (Zoological Survey Of India ) सोलन भेजा जा रहा है। उनका कहना था कि विशाल सांत्रा द्वारा सांप की इस प्रजाति की पहचान की गई है। जबकि इससे जुड़ी तस्वीरें मधु गुप्ता द्वारा उपलब्ध करवाई गई हैं।
उधर, इस बात को पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि सांप को अज्ञात व्यक्ति द्वारा जानबूझकर मौत के घाट उतारा गया है या फिर किसी वाहन की चपेट में आया।
ये हैं वाइन स्नेक से जुड़ी खास बातें…
तकरीबन एक हजार मीटर की ऊंचाई पर वनक्षेत्र में झाड़ियों व पेड़ों पर पाया जाता है। विशेष परिस्थितियों में मानव बस्ती के समीप मिलता है। एशियाई वाइन स्नेक (Asian Vine Snake) अमूमन पेड़ों पर ही वास करते हैं। अधिकांश जीवन पेड़ों पर ही व्यतीत होता है। पेड़ों की टहनियों के बीच तेजी से चलने की महारत होती है। ऐसा भी प्रतीत होता है, मानो पेड़ों के मुकुट में तैर रहे हों। दिन के दौरान सक्रिय होते हैं। शिकार के लिए घात लगाकर समय बिताने का भी खूब आनंद उठाते हैं।
खतरा महसूस होने पर एस के आकार की स्थिति लेते हैं। रक्षात्मक रूप में अपनी गर्दन को फुला लेते हैं। हालांकि, हल्के विषैले होते हैं, लेकिन मनुष्यों के लिए खतरनाक नहीं माने जाते। वाइन स्नेक मांसाहारी होते हैं। छिपकलियों व पेड़ के मेंढ़कों को शिकार बनाते हैं। सांप की ये प्रजाति दक्षिण भारत के अलावा उत्तर भारत में भी पाई जाती हैै।