सुंदरनगर, 24 मार्च : जिला के अराध्य बड़ादेव कमरूनाग शुक्रवार को राज्यस्तरीय सुकेत देवता मेला-2023 में शिरकत करने सुंदरनगर के लिए प्रस्थान कर गए हैं। देव कमरूनाग ने ग्राम पंचायत रोहांडा के गांव मझोठी स्थित कोठी से अपने लाव लश्कर सहित सुंदरनगर की ओर कूच कर दिया है।
इस मौके पर देव कमरूनाग का उनकी कोठी(देवस्थान) में विधिवत पूजन किया गया और उसके बाद देवलूओं तथा बजंतरियों संग देवता राज्यस्तरीय सुकेत देवता मेले में शिरकत करने के लिए निकल गए हैं। इस दौरान देवता द्वारा लगभग 37 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर सुंदरनगर पहुंचा जाएगा।
बता दें कि चैत्र नवरात्रि के पांचवें नवरात्रे 26 मार्च से राज्यस्तरीय सुकेत देवता मेले का आयोजन सुंदरनगर में किया जा रहा है। देव कमरूनाग 25 मार्च को सुंदरनगर पहुंचेंगे और 26 मार्च को सुकेत देवता मेला के शुभारंभ पर शुकदेव ऋषि की तपोस्थली शुकदेव वाटिका सुंदरनगर से मेला ग्राउंड तक आयोजित होने वाली शोभायात्रा की शोभा बढ़ाएंगे।
अराध्य देव कमरूनाग की अनूठी दास्तान…. देव कमरूनाग मंडी और सुकेत क्षेत्र की आस्था में रचे बसे हैं। उपमंडल गोहर के कांढी वाले देव कमरूनाग के सूरजपखे में चतुर्भुज स्वरूप में भगवान विष्णु का अंकन मिलता है। वर्ष 1935 में मंडी के तत्कालीन राजा जोगिंद्र सेन ने कमरूनाग के हारियानों को सौंपे मखमल के कपड़े पर देव कमरूनाग को इसी देव स्वरूप में उकेरा था।
इस सुरजपख्खे द्वारा मंडी जिला मुख्यालय में आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि मेले में शिरकत की जाती है। वहीं उपमंडल सुंदरनगर के रोहांडा की मझोठी कोठी वाले देव कमरूनाग सुकेत की आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहां सूरजपख्खे पर देव कमरूनाग का मुख मोहरे के रूप में है और साथ ही नीचे की ओर 5 अन्य मुख मोहरों का अंकन मिलता है। मान्यतानुसार ये 5 मुख पांडवों के बताए जाते हैं।
इस सूरजपख्खे द्वारा राज्यस्तरीय सुकेत देवता मेला सुंदरनगर में शिरकत की जाती है। एक ही देवता के ये दो भिन्न स्वरूप इसी प्रकार से अपने-अपने क्षेत्रों में भक्तजनों को आशीर्वाद देते हैं।