ऊना, 14 जनवरी : अपने पति हवलदार अमरीक सिंह की शहादत से बेखबर गणु मंदवाड़ा गांव की रूचि पिछले चार दिनों को यही लग रहा था कि उसका पति हादसे में जख्मी हुआ है, जिसका अस्पताल में इलाज चल रहा है। पत्नी रुचि पति की सलामती की दुआएं मांग रही थी। लेकिन उसे क्या पता था कि वह मां भारती की गोद में अब हमेशा के लिए सो गया है।
मायके से पहुंचे माता-पिता की आंखे नम देखकर रूचि कुछ समझ पाती, कि तभी चार दिन से मन में अपना दर्द छुपाएं बैठे पारिवारिक सदस्यों की आंखों से आंसू की धारा बहने लगी। करीब चार दिन बीत जाने के बाद जब रूचि को अपने पति के शहीद होने की खबर मिली तो चारों तरफ चीख पुकार मच गई। मायके से पहुंचे परिजनों व पारिवारिक सदस्यों ने मिलकर रुचि का ढांढस बंधाते हुए समझाया। कुछ पल के लिए शहीद अमरीक सिंह का घर चीखो-पुकार से गूंज उठा।
उधर, पार्थिव शव का इंतजार कर रहे परिवारिक सदस्यों को सेना अधिकारियों ने अभी ओर इंतजार करने की बात कही। पारिवारिक सदस्यों को सेना के अधिकारियों ने बताया कि थोड़ा सा मौसम साफ होने के बाद अभी पार्थिव शव को एक पोस्ट नहीं उतारा गया है। पूरी तरह मौसम साफ होते ही शव को भेज दिया जाएगा।
बता दें कि मंगलवार देर शाम जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में हुए सड़क हादसे में गणु मदवाड़ा के 39 वर्षीय हवलदार अमरीक सिंह शहीद हो गए। जिसकी जानकारी पहले दिन सिर्फ पिता को थी। इसके बाद छोटे व बड़े भाई को चली, लेकिन शहीद अमरीक सिंह के पत्नी व बेटे को इस खबर से दूर रखा। शुक्रवार सुबह जब शहीद की पत्नी रुचि के मायके पक्ष घर पहुंचे, तो पता चला। पति के शहीद होने की खबर पाते ही रूचि पर मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और रो-रोकर बुरा हाल हो गया। शहीद अमरीक सिंह अपने पीछे माता उषा देवी, पिता धर्मपाल सिंह, पत्नी रूचि और बेटा अभिनव को छोड़ गए हैं।