शिमला, 28 नवंबर : हिमाचल प्रदेश की स्पीति घाटी के ताबो क्षेत्र के “रंगरिक” गांव के साढ़े चार साल के बच्चे की पहचान तिब्बती बौद्ध धर्म के तकलुंग चेतुल रिनपोछे के चौथे अवतार (Reincarnation) के रूप में की गई है। दोरजीडक मठ में तिब्बती बौद्ध भिक्षुओं (Buddhist monks) व हिमालयी क्षेत्र के अन्य बौद्ध शिष्यों ने बालक भिक्षु का स्वागत किया। इस दौरान बालक के बौद्ध धर्म की रिवायत के मुताबिक बाल काटे गए, साथ ही वस्त्र धारण करवाए गए।
लाहौल-स्पीति के ताबो में सेरकोंग पब्लिक स्कूल (Serkong Public School) की नर्सरी कक्षा पढ़ने वाला ताशी राप्टेन औपचारिक रूप से गुरु बन गया है। शिमला की पंथाघाटी के मठ ( Monastery) में धार्मिक शिक्षा शुरू करेगा। बौद्ध गुरुओं ने बालक के घर जाकर पहचान की इसके बाद सोमवार को विधिवत तरीके से बालक का नाम बदलकर “तकलुंग चेतुल रिनपोछे” रखा गया, वो मठ के अनुयायियों का अगला गुरु होगा।
बालक के दादा छेतन अंगचूक ने बताया कि यह लाहौल व स्पीति और किन्नौर के साथ- साथ देश और दुनिया के बौद्ध अनुयायियों (Buddhist followers) के लिए ख़ुशी का विषय है। वो घर में “तकलुंग चेतुल रिनपोछे” के पुनर्जन्म से काफी खुश हैं ।उधर बौद्ध धर्म के अनुयायी भी “तकलुंग चेतुल रिनपोछे” के पुनर्वतार से काफी खुश हैं। पिछले सात साल से इस पल का इंतजार किया जा रहा था। जो सोमवार को विधिवत रुप से पंथाघाटी के मठ में संपन्न हो गया है। अनुयायी आशीर्वाद लेने के लिए नेपाल, भूटान, लद्दाख और हिमाचल के अलग- अलग हिस्सों से मठ में पहुंचे है।
जानकारी के मुताबिक नवांग ताशी का जन्म 16 अप्रैल 2018 को रंगरिक गांव लाहौल स्पीति में हुआ है, वो अब आगामी दीक्षा शिमला के दोरजीडक मठ पंथाघाटी में हासिल करेगा, क्योंकि बालक की पहचान उच्च बौद्ध भिक्षुओं द्वारा “तकलुंग चेतुल रिनपोछे” के चौथे अवतार के रुप में हुई है।