नाहन, 22 सितंबर : हिमाचल प्रदेश के ऐतिहासिक पांवटा साहिब गुरुद्वारे के भवन को एक नया रूप दिया जा रहा है। इसके लिए पुराने स्ट्रक्चर को गिरा कर नया निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। इसी मकसद से गुरुद्वारा प्रबंधन ने सिख समुदाय के करीब 20 दुकानदारों को दुकानें खाली करने का अल्टीमेटम इस शर्त के साथ दिया है कि उन्हें 24 से 30 महीने के बीच नई दुकानें उपलब्ध करवा दी जाएंगी।
ऐसे में 20 परिवारों का रोजगार अस्थाई तौर पर छिन गया है। करीब दो सप्ताह से ये परिवार सूबे के ऊर्जा मंत्री सुखराम चैधरी व नगर परिषद से गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें गुरुद्वारा के समीप अस्थाई स्ट्रक्चर उपलब्ध करवा दिया जाए। इसका निर्माण भी वो खुद ही करेंगे। साथ ही नगर परिषद को किराया भी अदा करेंगे।
सवाल ये उठता है कि सत्तासीन राजनीतिक दल के अलावा स्थानीय प्रशासन को अल्प संख्यक समुदाय की मांग को पूरा करने में क्या दिक्कत है। रोजगार छिनने वाले दुकानदारों ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि वो करीब 50 साल से गुरुद्धारे के बाहर धार्मिक सामग्री को बेचकर जीवन यापन कर रहे हैं। अचानक ही रोजगार चले जाने से कई दिक्कतें खड़ी हो गई हैं। रोजी-रोटी के लाले तो हैं ही, बच्चे पढ़ाई भी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जब तिब्बती समुदाय के लिए सरकार व प्रशासन द्वारा अस्थाई ढारे व दुकानें आबंटित की जा सकती हैं तो वो तो भारत के ही नागरिक हैं। ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है।
उधर, प्रबंधन कमेटी गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब ने भी अधिशाषी अभियंता को एक पत्र लिखा है। इसमें लिखा गया कि गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब की इमारत पुरानी हो चुकी है। नई इमारत का कार्य शुरू हो चुका है। कमेटी दुकानों को खाली करवा रही है। ये दुकानें 24 से 30 महीने के भीतर पुनः आबंटित कर दी जाएंगी।
कमेटी ने भी अधिशाषी अभियंता से यही गुहार लगाई है कि दुकानदारों को अस्थाई तौर पर ढारे लगाने की जगह उपलब्ध करवा दी जाए। दुकानदारों का ये भी कहना है कि गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने भी लिखित तौर पर दुकानों के आबंटन का आश्वासन दिया है।