नाहन (एमबीएम न्यूज): इस बात पर संभवत: विश्वास न हो, मगर हकीकत है। शिलाई में सालों से मलमूत्र युक्त पेयजल की सप्लाई की जा रही थी। इस मामले के दोषियों को 24 मई को एसडीएम कार्यालय शिलाई में हाजिर होना होगा। यह हैरतअंगेज खुलासा बीती शाम टिम्बी में उस वक्त हुआ, जब शिलाई के एसडीएम विकास शुक्ला दल-बल सहित कडक़ कार्रवाई करने मौके पर पहुंचे।
दरअसल हो यह रहा था कि टिम्बी के करीब दो दर्जन घरों के मलमूत्र को सीधे ही स्थानीय खड्ड में छोड़ा जा रहा था। यकीन मानिए कि इसी खड्ड से शिलाई की उठाऊ पेयजल योजना बनी है। स्वाभाविक सी बात है कि टिम्बी के 23 घरों का मलमूत्र सीधे ही पीने के पानी को प्रदूषित कर रहा था। साथ ही नेड़ा खडड में नहाना-धोना भी नियमित था। इस तरह के हालात को देखकर भौचक्के रहे एसडीएम ने सार्वजनिक उपद्रव की धारा-133 के तहत 24 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए। साथ ही खड्ड को प्रदूूषित करने पर लगभग 80 हजार रुपए का जुर्माना भी वसूला है।
एसडीएम की इस कार्रवाई से आईपीएच विभाग में भी हडक़ंप मचा हुआ है। हालांकि पुष्टि नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि पिछले पांच सालों से शिलाई पेयजल योजना के सैंपल फेल हो रहे थे। बावजूद इसके सप्लाई जारी रही। इस बात के आंकड़े भी उपलब्ध नहीं हैं कि प्रदूषित पानी के सेवन से कितने लोगों को बीमारियों का सामना करना पड़ा। सूत्र बताते हैं कि शिलाई में स्वास्थ्य सुविधाएं भी लेशमात्र होने के कारण अधिकतर लोग उपचार के लिए पांवटा साहिब व उत्तराखंड के अस्पतालों का रुख करते हैं। लिहाजा आंकड़े भी उपलब्ध नहीं हो सकते।
उधर एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में एसडीएम विकास शुक्ला ने समूची कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा कि मामले के सामने आने के बाद नियमित तौर पर निगरानी की जा रही है। उन्होंने कहा कि साफ तौर पर लोगों को अपने घरों की सीवरेज का इंतजाम तत्काल प्रभाव से करने को कहा गया है।
कैसे खुली पोल?
एसडीएम के मुताबिक खंड चिकित्सा अधिकारी से पेयजल के सैंपल फेल होने की रिपोर्ट मिली। जब इसका कारण तलाश किया गया तो पाया कि टिम्बी में दुकानों व घरों की गंदगी को सीधे उस जगह पर डंप किया जा रहा है, जहां से शिलाई को पेयजल आपूर्ति हो रही है। मामला गंभीर है। उधर सूत्र बताते हैंं कि पेयजल को दूषित करने के मामले में समूचे प्रदेश में अब तक 20 मामले ही बने हैं, जबकि यहां एक साथ 24 मामले दर्ज हुए हैं।