शिमला, 11 अगस्त : हिमाचल प्रदेश की भाजपा की जयराम सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव वीरवार को ध्वनिमत से गिर गया। इस पर चार घंटे से अधिक समय तक चर्चा हुई। इसमें पक्ष व विपक्ष के कई विधायकों ने अपनी अपनी बात रखी। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए कम समय दिए जाने के विरोध में विपक्ष ने पहले सदन में जोरदार हंगामा किया और नारेबाजी करते हुए सदन से वॉकआउट कर पूरा विपक्ष बाहर चला गया।
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्षी विधायकों ने सरकार पर हर मोर्चे पर विफल होने का आरोप लगाया। जवाब में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल में आम जनता की बेहतरी के लिए सरकार काम कर रही है। सरकार की योजनाएं आम जनता तक पहुंच रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने पुरानी पेंशन बहाली का मामला केंद्र सरकार से उठाया है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष द्वारा उनकी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव में कोई दम नहीं था। उनकी सरकार ओपीएस पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर रही है और इसके लिए उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया है, ताकि कोई रास्ता निकाला जा सके।
जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस जितनी सरलता से ओपीएस बहाली की बात कर रही है, यह मामला उतना आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मुख्यमंत्रियों से उन्होंने इस मुद्दे पर व्यक्तिगत तौर पर बात की है, लेकिन ये राज्य भी ओपीएस को अभी तक बहाल नहीं कर पाए हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर कांग्रेस पर कर्मचारियों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कर्मचारियों से भी आग्रह किया कि वे ओपीएस को राजनीतिक मकसद से न लें।
सूबे पर बढ़ रहे कर्ज के बोझ पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने ऐसे हालात पैदा किए आज ऋण लेना प्रदेश की मजबूरी हो गई है। इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने अपने कार्यकाल में अभी तक 16998 करोड़ रुपए का ही ऋण लिया, जबकि पूर्व कांग्रेस सरकार ने पांच सालों में 19200 करोड़ रुपए का ऋण लिया था। इस तरह मौजूदा सरकार ने केंद्र द्वारा तय सीमा से 5384 करोड़ रुपए कम ऋण लिया है। उन्होंने कहा कि यदि कोरोना की स्थिति न होती तो सरकार और भी कम ऋण लेती।
मुख्यमंत्री ने बागवानों के आंदोलन को विपक्ष की देन करार दिया और कहा कि कांग्रेस और माकपा अपने राजनीतिक हित को साधने के लिए बागवानों की नाराजगी को हवा दे रही है। इससे पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्षी सदस्यों के बीच नोक-झोंक होने से सदन का माहौल गरमाया। विधानसभा अध्यक्ष को कई बार अपनी सीट पर खड़े होकर स्थिति संभालनी पड़ी। सतापक्ष ने विपक्ष की गुटबाजी को मुद्दा बनाया और कांग्रेस नेताओं में नेता बनने की होड़ को लेकर तंज कसे। वहीं विपक्ष ने प्रदेश सरकार की साढ़े चार साल की कारगुजारी को लेकर तीखे हमले किए।