शिमला/ नाहन, 18 जुलाई : क्या आप विश्वास करेंगे, 700 सालों से पुश्त-दर-पुश्त दुश्मनी चल सकती है। जी हां, शिमला व सिरमौर के पहाड़ों में ऐसा हो रहा था।
700 साल पुरानी दुश्मनी का खात्मा भी एक दिन में नहीं हुआ, बल्कि इसके लिए भी 9 साल का लंबा वक्त लगा। 2013 में शुरू की गई कोशिश 2022 में 16 जुलाई को सफल हुई।
ये अनोखा तथ्य इस कारण सामने आया है, क्योंकि मोईलाना व हिड़ाना बिरादरियों के बीच ये दुश्मनी खत्म हो गई है। यकीन मानिए, 700 साल पहले मंदिर से एक पत्थर चोरी हुआ था, तब से ये विवाद बदस्तूर जारी था।
मोईलाना बिरादरी का ताल्लुक सिरमौर से है, जबकि हिड़ाना बिरादरी का संबंध शिमला जिला के कुपवी क्षेत्र से है। हालांकि, बिरादरियों के बुजुर्ग बताते हैं कि दोनों पक्षों के बीच समझौता 28 अप्रैल 2014 को हो गया था, लेकिन कुछ औपचारिकताएं रह गई। कोविड संकट के कारण इन औपचारिकताओं को पूरा करने में बाधा आई।
शनिवार की शाम परगणे की 15 पंचायतों के 100 से अधिक ठगड़े ‘बुद्धिजीवी’ हिड़ा गांव पहुंचे थे। तमाम औपचारिकताओं को पूरा किया गया। रविवार को दुश्मनी के खात्मे पर जश्न हुआ।
ये बताते हैं…
इलाके में ये बात आम है कि लगभग 700 साल पहले महल क्षेत्र के टिकरी गांव में एक मंदिर के निर्माण पर विवाद उपजा था। विद्वान पंडितों ने निर्माण कर रहे लोगों को सलाह दी थी कि यदि निर्माण सफल होता है तो इसके लिए हिड़ा नामक स्थान से ठारी मंदिर से एक पत्थर लाना होगा।
इस कार्य की जिम्मेदारी कुछ राजपूतों व एक ब्राह्मण ने उठाई। रात के समय महल क्षेत्र के लोग मंदिर से पत्थर चोरी करने में सफल हो गए थे। इसी बीच एक व्यक्ति ने उन्हें पत्थर ले जाते हुए देख लिया। इसकी सूचना हिड़ा गांव के लोगों को मिली। पत्थर ले जाने वालों का पीछा किया गया। कुलग खड्ड के समीप पत्थर ले जाने वालों को पकड़ लिया गया। राजपूत बिरादरी के लोग चंगुल से छूटकर भागने में सफल हुए, लेकिन ब्राह्मण पकड़ा गया।
ये भी प्रचलित है कि ब्राह्मण को हिड़ा ले जाया गया, फिर उसकी हत्या कर दी गई। इस बात से महल क्षेत्र में आक्रोश फैल गया। 1500 लोगों की फौज तैयार की गई। फिर हिड़ा गांव पर आक्रमण कर दिया गया, लेकिन हमले से पहले हिड़ा गांव को भनक लग चुकी थी। लिहाजा, वो भी हमले से बचने को तैयार थे।
खूनी संघर्ष में महल क्षेत्र के 18 लोगों को जान गंवानी पड़ी। हिड़ा गांव के मुखिया संत राम, लंबरदार केवल राम व शिक्षाविद जगत राम इत्यादि ने बताया कि खूनी संघर्ष के बाद दुश्मनी इस हद तक पैदा हो गई कि एक गुट दूसरे क्षेत्र में दाखिल नहीं हो सकता था। 700 सालों से एक-दूसरे के क्षेत्र में प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध था।
ऐसे हुआ समझौता…..
महल क्षेत्र के रणवा गांव का दिल्टा परिवार अब शिमला के कफलाह में बसा हुआ है। परिवार के गंगा राम दिल्टा ने 2013 में 700 साल पुरानी दुश्मनी को खत्म करने की पहल की थी। इसके लिए पहले महल क्षेत्र के लोगों को एकमत किया। इसके बाद हिड़ा गांव के लोगों को समझौते का प्रस्ताव भेजा। आखिर में शनिवार देर शाम ये पहल सार्थक हो गई।