शिमला से शैलेंद्र कालरा की रिपोर्ट
रविवार को देश की राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान (Pragati Maidan) में इंटीग्रेटिड ट्रांजिट काॅरिडोर (Integrated Transit Corridor) का लोकापर्ण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने किया। इस गलियारे में उकेरी गई बेजोड़ कला चंद मिनटों में ही न केवल देश, बल्कि विश्वभर में चर्चा में आ गई।
यही नहीं, लोकापर्ण के दौरान प्रधानमंत्री जब गलियारे का लोकापर्ण कर रहे थे तो उस दौरान वो बेजोड़़ कला के वृत चित्र को करीब से महसूस करने के लिए खुली जीप से ही नीचे उतर कर पैदल चल पडे़। इसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ये कहते हुए किया कि वो चाहते हैं कि सप्ताह में एक दिन इस गलियारे को ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया जाए, ताकि देशवासी इसे पैदल चलकर करीब से देख सकें।
ऐसी उम्मीद है कि जल्द ही भारत की 6 ऋतुओं का एक वृत चित्र में वर्णन गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकाॅर्ड (Guinness Book Of World Records) में दर्ज हो जाएगा। हालांकि ये गलियारा 1.36 किलोमीटर का है, लेकिन इसमें उकेरी गई कला की लंबाई लगभग तीन किलोमीटर है। इस आर्ट (Art) को उकेरने में लगभग अढ़ाई साल का वक्त लगा है।
लाजमी तौर पर आपके जहन में सवाल उठ गया होगा कि आखिर इस कला को पेश करने वाले चित्रकार कौन हैं। जिज्ञासाएँ भी हिचकोले ले रही होंगी….
वो आर्ट, जिसका जिक्र देश के प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में लगभग 6 मिनट किया हो, वो आसाधारण ही होगा।
इस टास्क को हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (Himachal Pradesh University) में फैकल्टी ऑफ परफॉर्मिंग एंड विजुअल आर्टस (Faculty of Performing and Visual Arts) के डीन प्रो. हिम चटर्जी ने रिकाॅर्ड समय में पूरा किया है। बता दें कि वो भी आज दिल्ली (Delhi) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए लोकार्पण कार्यक्रम में मौजूद थे।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से फोन पर लंबी बातचीत में प्रो. हिम चटर्जी ने कहा कि एक आर्टिस्ट (Artist) को वो पल बेहद ही उत्साह बढ़ाने वाले होते हैं, जब कला की तारीफ हो रही हो, वो भी, तब जब देश के प्रधानमंत्री प्रशंसा करें।
उन्होंने कहा कि वो इस बात से अधिक प्रसन्न हैं कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कला के पारखी हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनकी दक्षता पब्लिक आर्टस (Public Arts) में है। बता दें कि प्रो. हिम चटर्जी शिमला विश्वविद्यालय में स्टूडेंट्स को फाइन व पब्लिक आर्टस इत्यादि की शिक्षा भी प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि एक कलाकार के लिए ऐसा कैनवस मिलना बेहद ही कठिन होता है। फिर आपके सामने इस कैनवास पर क्या उतारना है, क्योंकि कला की निरंतरता टूटनी नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि पहली चुनौती विषय का चुनाव करने की थी, ताकि पूरी टनल में निरंतरता को बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि ये प्रयास किया गया कि जब लोग टनल से गुजरे तो उनके साथ-साथ आर्ट चले।
तीन साल पहले इस बात का ख्याल आया कि भारत ही एक ऐसा देश है जहां 6 ऋतुओं का समावेश है। इसमें हमारी संस्कृति, उत्सव, ज्योतिष इत्यादि का जुड़ाव है। लिहाजा ऋतुओं के माध्यम से सेलिब्रेशन ऑफ लाइफ (Celebration Of Life) की कला को उकेरा जाए। जीवन का उत्साह 6 ऋतुओं के साथ है। उन्होंने कहा कि इस 3 किलोमीटर की टनल में हरेक उत्सव को दर्शाया गया है।
ये खास….
प्रो.चटर्जी ने कहा कि इस तरह के कैनवास को बनाने के लिए इंच टू इंच ड्राइंग बनानी पड़ी। इसके बाद हाई प्रोफेशनल टीम को तैयार किया गया, जो मौजूदा समय की टैक्नोलाॅजी का इस्तेमाल कर सके। इसमें ऐसी सामग्री का इस्तेमाल किया जाना था जो हर तरह के माहौल को सहन कर सके। उन्होंने बताया कि लोहे के मेटीरियल को कोटेड किया गया।
इस कैनवास का बचाव आग से सबसे जरूरी था। मशीनों से ड्राइंग तैयार की गई, इसके बाद हाथों से कैनवास पर उकेरा गया। उन्होंने कहा कि दीवार से करीब 2 से 3 इंच उभार कर इस कैनवास को तैयार किया गया है, ताकि दीवार में अगर सीलन भी हो तो इस पर असर न पड़े।
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उन्होंने कहा कि दिन-रात काम करने के बाद इस कार्य को मुकम्मल करने में लगभग अढ़ाई साल का वक्त लगा।
गौरतलब है कि प्रो. चटर्जी के दिवंगत पिता सनत चटर्जी भी विश्व स्तरीय कलाकार (World Class Artist) रहे। प्रो. चटर्जी को कला विरासत में मिली है। पिता की कला भी गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकाॅर्ड (Guinness Book of World Records) में दर्ज हुई थी। उन्होंने कहा कि कभी भी मन में इस बात का ख्याल नहीं आया कि ये कैनवास रिकॉर्ड में दर्ज होगा।
उन्होंने कहा कि जब गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड को खंगाला गया तो पता चला कि कोरिया में 23 हजार मीटर का आर्ट वर्क है, लेकिन जब हमने अपने काम को देखा तो पाया कि ये 28991 मीटर का कैनवस है। लिहाजा, इसे गिनीज वर्ल्ड ऑफ रिकॉर्ड के लिए अप्लाई कर दिया है।
कुल मिलाकर ये कैनवास बसंत ऋतु (Spring Season) से शीत ऋतु (Winter Season) का एक ऐसा पैनोरमा है, जिसे देखने वाले देखते ही रह जाएंगे। इस कैनवस में 7 हजार वर्ग मीटर स्टील वर्क का इस्तेमाल हुआ है।