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गुनहगार छोड़ता है निशान, पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में भी ऐसा ही हुआ…

May 20, 2022 by MBM News Network

शिमला, 20 मई : अपराध की दुनिया में एक बात अक्सर ही होती है। वो ये कि कोई भी क्राइम परफेक्ट नहीं हो सकता, हर गुनहगार अपने गुनाह के निशान छोड़ता है। बशर्ते, जांच करने वालों की नजरें पैनी हों।

ये बात, उस मामले में भी सटीक साबित हुई है, जिसमें आरोप भी पुलिस पर लग रहे हैं। इंटर स्टेट हो चुके इस मामले में शातिरों ने पेपरलीक (PaperLeak) करने से लेकर सौदेबाजी तक ऐसी फुलप्रूफ प्लानिंग की थी कि चक्रव्यूह को कोई भेद न सके। लेकिन वो ये भूल गए कि करोड़ों की कमाई के चक्कर में ऐसे उम्मीदवारों से सौदा कर लिया है, जिनकी पृष्ठभूमि दसवीं व बारहवीं की परीक्षा में 40 से 55 प्रतिशत अंकों की थी।

स्कूल की पढ़ाई के दौरान औसत से कम परफॉर्म करने वाले अचानक ही पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा (Police Recruitment Written Exam)के टॉपर कैसे बन गए, यही वो गुनाह का संकेत था, जो दस्तावेजों की पड़ताल के दौरान ईमानदारी छवि के पुलिस अधिकारियों की आंखों में खटक गया।

फिलहाल, इस मामले में कई बिंदुओं के रहस्य का पर्दा उठना बाकी है। लेकिन इतना तय है कि सौदेबाजों के पास परीक्षा में हिस्सा लेने वाले उम्मीदवारों का डाटा था। इसके बूते ही सौदेबाजी का जाल बिछाया गया।

 बता दें कि पढ़ाई में औसत अंक हासिल करने वालों के अचानक ही लिखित परीक्षा के टॉपर बनने वालों पर ही एसआईटी (SIT) की जांच टिकी हुई है। यदि शातिरों द्वारा इस बात का भी आकलन कर लिया जाता कि जिन उम्मीदवारों को प्रश्नपत्र बेचे जा रहे हैं, उनकी पढ़ाई की पृष्ठभूमि क्या रही है तो शायद वो ईमानदार पुलिस अधिकारी की आंख में भी धूल झौंकने में कामयाब हो जाते।

हालांकि, कांगड़ा से पहले एक अन्य जिला में भी पेपर लीक होने की आशंका इस कारण सामने आई थी, क्योंकि यहां भी 10वीं व 12वीं में औसत अंक लेने वाले टॉपर बन गए थे। लेकिन कांगड़ा में तैनात एक ईमानदार छवि के आईपीएस अधिकारी ही विसलब्लोर (whistleblower) बने। बताते हैं कि उन पर दबाव बढ़ा, लेकिन वो नहीं माने।

पेपर लीक करने वाले शातिरों ने सौदेबाजी के लिए केवल यही गलती की कि उम्मीदवारों का चयन गलत कर लिया। अन्यथा, प्लानिंग फुलप्रूफ थी। लाखों रुपए की राशि लेने के बाद भी उम्मीदवारों को प्रश्नपत्र नहीं दिया गया, केवल राज्य से बाहर बुलाकर प्रश्नों की तैयारी करवाई गई। ट्राईसिटी चंडीगढ़ (Tricity Chandigarh) के अलावा उम्मीदवारों को हरियाणा के पानीपत भी बुलाया गया।

कुल मिलाकर अपराध करने वालों को ये समझ लेना चाहिए कि कोई भी क्राइम परफेक्ट नहीं हो सकता। पुलिस पेपर लीक मामले में भी हाई लैवल की प्लानिंग भी धरी की धरी रह गई है।

ये भी खास बातें…
मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश 15 दिन बाद की गई। ये इतना लंबा वक्त है कि साजिश करने वालों को सबूतों से छेड़छाड़ करने का मौका मिल गया होगा। यहां फिर वही बात रिपीट होती है कि कोई भी क्राइम परफेक्ट नहीं हो सकता। लिहाजा इस उम्मीद को नहीं छोड़ा जाना चाहिए कि सीबीआई भी सुराग को ढूंढ निकालेगी। इसमें चाहे बरामद मोबाइलों को डाटा रिट्रीव करना ही क्यों न हो।

उदाहरण के तौर पर कुल्लू में एक मर्डर मिस्ट्री में अपराधी की धुंधली तस्वीर को सही तरीके से उजागर करने के लिए विदेश की प्रयोगशाला की मदद ली गई थी। सोशल मीडिया टूल्स के सोर्स तक पहुंचकर भी सीबीआई साजिश करने वालों की जड़े खोज सकती है।

सोशल मीडिया के टूल्स भी आपराधिक गतिविधियों में पुलिस की जांच को प्राथमिकता के आधार पर मदद देने को तैयार होते हैं, बशर्ते काबिल पुलिस अधिकारी सही तरीके से संवाद स्थापित करे।

इस समूचे मामले में पुलिस ने मीडिया ब्रिफिंग नहीं की है। पहले डीजीपी के स्तर पर प्रेस विज्ञप्तियां जारी की गई, लेकिन बाद में इन्हें भी बंद कर दिया गया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने ही पेपर रद्द होने का ऐलान किया, इसके बाद जांच को सीबीआई को सौंपने की घोषणा की। अब तक किसी भी पुलिस अधिकारी ने मीडिया के सामने आकर बात नहीं की है।

Filed Under: मुख्य समाचार, शिमला, हिमाचल प्रदेश Tagged With: Himachal News In Hindi, Shimla News



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