शिमला, 04 मई : हिमाचल प्रदेश में 2016 बैच के इंटर्न डॉक्टरों ने प्रदेश सरकार से नौकरी की मांग उठाई है। इन डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर बुधवार को आईजीएमसी में धरना दिया। इनका कहना है कि छह मई को उनकी इंटर्नशिप पूरी हो रही है, लेकिन सरकार ने उनके रोजगार का कोई प्रावधान नहीं किया है। इन डॉक्टरों ने मांगें पूरी न होने पर प्रदेश सरकार को आंदोलन की भी चेतावनी दी है। प्रदेश के तीन मेडिकल कॉलेजों आईजीएमसी, टांडा और नाहन में 2016 बैच के 300 डॉक्टर हैं।
आईजीएमसी के इंटर्न डॉक्टर रजत, सुशांत और शम्मी ने पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदेश सरकार ने आईजीएमसी में कैंपस इंटरव्यू के जरिए डॉक्टरों की नियुक्ति की व्यवस्था को बंद कर दिया है। अब वाक इन इंटरव्यू से डॉक्टरों की नियुक्ति की जा रही हैं। वाक इन इंटरव्यू में निजी व बाहर के मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस कर चुके छात्र भी पात्र हैं। ऐसे में आईजीएमसी से एमबीबीएस करने का क्या औचित्य है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार 144 डॉक्टरों को वाक इन इंटरव्यू से भरने जा रही है और इन पदों पर भी प्राइवेट कॉलेज और दूसरे देश के छात्रों को प्राथमिकता दी जा रही है। सरकार ने बजट सत्र में 500 सीट का ऐलान किया था, लेकिन अभी तक इन्हें भरने के लिए कदम नहीं उठाया गया है।
उनका कहना है कि सरकार जल्द से जल्द इन 500 पदों को बनाए व सरकारी कॉलेज के पास हुए डॉक्टर्स को प्राथमिकता देते हुए बाकी पदों पर प्राइवेट और चीन यूक्रेन से आए छात्रों की नियुक्ति हो।
इंटर्न डॉक्टर रजत ने पत्रकारों को बताया कि प्रदेश में डॉक्टर की भारी कमी हैं। एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर नियुक्त करने का प्रावधान है। ऐसे में प्रदेश में 7500 डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन इतने डॉक्टर सेवा में नहीं हैं।
उनका कहना है कि जिस प्रकार पिछले वर्ष तक एमबीबीएस डॉक्टर के पद कैंपस इंटरव्यू द्वारा भरे जाते थे, वैसे ही इस बार भी भरे जाएं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने कैंपस इंटरव्यू से डॉक्टरों की नियुक्ति का निर्णय नहीं लिया, तो इंटर्न डाक्टरों को मजबूरन आंदोलन करने के लिए विवश होना पड़ेगा।