शिमला, 09 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश में अब घूसखोरों को सावधान रहने की आवश्यकता है। स्टेट विजिलेंस व एंटी क्रप्शन ब्यूरो (State Vigilance & Anti Corruption Bureau) भ्रष्टाचारियों को न केवल रंगे हाथों काबू कर रही है, बल्कि अदाल त से सजा दिलवाने में भी सफल हो रही है।
बड़ी जानकारी ये है कि राज्य में वित्तीय वर्ष 2020-21 की तुलना में भ्रष्टाचारियों (corrupted) की सजा दर 7.14 प्रतिशत से बढ़कर 28. 58 प्रतिशत हो गई है। ऐसी भी संभावना जताई जा रही है कि ये दर इतनी उंचाई पर पहले नहीं आई होगी।
2020-21 में 14 मामलों में अदालत (Court) के आदेश आए। मात्र एक रिश्वतखोर (briber) को सजा हुई, लेकिन 2021-22 में 21 मामलों में से अदालत ने 6 में सजा सुनाई। स्टेट विजिलेंस व एंटी क्रप्शन ब्यूरो ने 2020-21 में 13 घूसखोरों को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार (Arrest) किया, लेकिन 2021-22 में ये आंकड़ा बढ़कर 22 हो गया।
इसमें सबसे चर्चित केस नादौन पुलिस थाना एसएचओ (SHO) का रहा। इसके अलावा एक मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (Motor vehicle inspector) को बिलासपुर से काबू किया गया। यही नहीं, एनसीटीई दिल्ली (NCTE Delhi) के प्रोफैसर स्तर के तीन रिश्वतखोरों को गिरफ्तार किया गया। तीनों ही कांगड़ा जिला में शैक्षणिक संस्थानों (Education Institute) की मान्यता को लेकर घूस ले रहे थे।
चंद रोज पहले हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Himachal Pradesh Pollution Control Board) के चीफ साईंटिफिक ऑफिसर (Chief Scientific Officer) को काबू किया गया। राष्ट्रीय ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी के चीफ इंजीनियर को भी दबोचने में विजिलेंस ने सफलता हासिल की है।
अमूमन ये समझा जाता है कि विजिलेंस पटवारी या कानूनगो को ही दबोचती है, लेकिन 2021-22 में न केवल दोष सिद्धि में लगभग चार गुणा बढ़ोतरी हुई, बल्कि शीर्ष अधिकारियों को भी सलाखों के पीछे पहुंचाने में सफलता हासिल की।
2020-21 में एनडीपीएस एक्ट (NDPS Act) के तहत दो मामलों की तुलना में इस बार पांच मामले दर्ज हुए। एक महत्वपूर्ण बात ये भी है कि 2020-21 में भ्रष्टाचार से जुड़े 60 मामलों की जांच पूरी की गई थी, वहीं 2021-22 में 85 मामलों की जांच पूरी की गई।
इसके अलावा भ्रष्टाचार से जुड़ी 307 शिकायतों की तुलना में 353 का निपटारा किया गया। विजिलेंस ने पहली बार औचक निरीक्षण (surprise check) करने का भी इस वित्तीय वर्ष में फैसला लिया था। 13 मामलों में औचक निरीक्षण किया गया। खास बात ये रही कि दो में मामले भी दर्ज हुए। ये प्रयोग पहली बार हुआ है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस समय हिमाचल में स्टेट विजिलेंस व एंटी क्रप्शन की टीम शानदार है। इसकी कमान, एडीजीपी के तौर पर तेजतर्रार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सत्येंद्र पाल सिंह संभाले हुए हैं। आईजी की जिम्मेदारी रामेश्वर ठाकुर के पास है। यही नहीं, एसपी व डीएसपी के पदों पर कई ऐसे अधिकारी काबिज हैं, जो हिमाचल को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।