शिमला, 4 मार्च : हिमाचल सरकार ने शुक्रवार को वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए 51,365 करोड का बजट पेश किया है। हालांकि, बजट के हर पहलू पर चर्चा हो रही है, लेकिन अहम बात ये है कि इस बजट का 41% हिस्सा सरकारी कर्मचारियों के वेतन व पेंशन पर ही खर्च हो जाएगा। सरकारी कर्मचारियों की अदायगी के लिए 26% प्रतिशत व पेंशन पर 15% खर्च होगा। राज्य सरकार के कर्जों की अदायगी पर 10 प्रतिशत राशि ब्याज में ही चली जाएगी।
ऋण अदायगी पर 11% खर्च होगा। स्वायत संस्थानों की ग्रांट पर 9 प्रतिशत के खर्च का अनुमान है। बता दें कि इसमें नगर परिषदों, नगर निगमों व बोर्डों इत्यादि को ग्रांट होती है। ऐसे में सरकार के पास केवल 29% बजट ही ऐसा होगा, जो पूंजीगत कार्याें सहित अन्य गतिविधियों पर व्यय किया जाएगा।
सरकार ने बजट के क्रमांक संख्या 212 में प्रति 100 रुपए के हिसाब से इसे विभाजित भी किया है। सरकार के कुल बजट में से 21,059 करोड़ रुपए केवल सरकारी कर्मचारियों के वेतन व पेंशन पर ही खर्च होगा। पूंजीगत कार्यों व विकास के लिए 14,895 करोड़ ही बचते हैं। साधारण शब्दों में समझे ंतो पहाड़ी प्रदेश में विकास कार्यों की तुलना में सरकारी कर्मचारियों का वेतन व पेंश नही ऊपर है।
ये अंतर, 6164 करोड़ का है। प्रदेश में ओल्ड पेंशन की बहाली का माहौल भी तेजी से तूल पकड़ रहा है। हालांकि, मौजूदा सरकार के इस बजट में इसको लेकर कोई प्रावधान नहीं नजर आया, लेकिन इतना जरूर है कि चुनावी साल में सरकार घोषणा कर सकती है। ऐसी परिस्थिति में वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में ही इसको लेकर कोई प्रावधान सामने आ सकता है।
शुक्रवार को पेश किए गए बजट में मुख्यमंत्री ने 2022-23 में 36,375 करोड़ की राजस्व प्राप्तियां होने का अनुमान जताया है। कुल राजस्व 40,278 करोड़ रुपए हो सकता है। इस प्रकार कुल राजस्व घाटा 3,903 करोड़ अनुमानित है। राजकीय कोष घाटा, 9602 करोड़ अनुमानित है, जो प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद का 4.98 प्रतिशत है।