नाहन, 9 फरवरी : शहर के विला राऊंड (Vila Round) के जंगल में निजी भूमि में अवैध कटान की तस्दीक हो गई है। ये पुष्टि, खुद वन विभाग कर रहा है। साथ ही नगर परिषद वन संरक्षण अधिनियम 1980 (Forest Conservation Act 1980) के उल्लंघन के संगीन मामले में फंसती नजर आ रही है। सूत्रों की मानें तो 2015 में हरे-भरे विशालकाय पेड़ गूगल मैप (Google Map) में नजर आए हैं, लेकिन 2016 के बाद ये पेड़ साफ हो गए। मैदान बन चुका है।
3 फरवरी 2022 को वन अरण्यपाल के स्तर पर हिमाचल के पीसीसीएफ (PCCF) को भी एक रिपोर्ट भेजी गई है। इसमें साफ तौर पर इस बात को इंगित किया गया है कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 का उल्लंघन हुआ है। इसमें 8 दिसंबर 2021 को विभाग को मिली शिकायत का भी हवाला दिया गया है। वन अरण्यपाल (Forest Conservator) ने इस बात का खुलासा किया है कि खसरा नंबर 54 में नगर परिषद ने घरों के नक्शे (house maps) पारित कर दिए। इसी भूमि से पेड़ों का अवैध कटान (illegal felling of trees) किया गया था।
वन विभाग की मानें तो नगर परिषद ने पहले अवैध कटान को कंपाउंड (Compound) किया। इसके बाद प्लाॅटिंग (Plotting) की मंजूरी प्रदान कर दी गई। प्लाॅट खरीदने वालों के नक्शे भी पास कर दिए गए।
बता दें कि वन विभाग की टीम ने 10 अगस्त 2021 को इस भूखंड का निरीक्षण किया था। इसमें पाया गया कि खसरा नंबर 54 को खसरा नंबर 54/2/1, 54/2/2 व 54/2/3 में विभाजित कर दिया गया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि खसरा नंबर 54/2/1 में निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है, जबकि शेष में निर्माण कार्य जारी है।
वन अरण्यपाल की रिपोर्ट में ये भी लिखा गया है कि एसडीएम कार्यालय (SDM Office) से रिकाॅर्ड का इंतजार किया जा रहा है। इस समूचे मामले में वन विभाग का तर्क है कि चीड़ के 44 विशालकाय दरख्तों का अवैध कटान हुआ है। चूंकि इस भूखंड को वन परिभाषित (forest defined) किया गया था। लिहाजा, वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत अनुमति अनिवार्य थी, लेकिन नगर परिषद ने ही कथित तौर पर गोलमाल कर दिया।
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इसी बीच सोशल एक्टिविस्ट व अंधाधुंध कटान को लेकर करीब पांच साल से इस मामले को अलग-अलग मंच पर उठा रहे सुधीर रमौल का कहना है कि 44 पेड़ों का मामला पुराना है, वो अमरपुर मौजा से जुड़ा है, लेकिन ताजा अंधाधुध कटान शिवपुरी मौजा में हुआ है। उन्होंने कहा कि ये बात समझ से परे है कि क्यों विभाग इस मामले की निष्पक्ष जांच से बचने की कोशिश कर रहा है। रमौल का ये भी कहना है कि काटे गए पेड़ों की संख्या सैंकड़ों में हो सकती है।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में डीएफओ (DFO) सौरव जाखड़ ने कड़े शब्दों में कहा कि सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि एफसीए (ACF) के उल्लंघन को लेकर उचित कदम उठाए जाएंगे। इसका एक अलग से मामला नगर परिषद के खिलाफ दायर होगा।
डीएफओ ने कहा कि नगर परिषद को पहले तो कंपाउंडिंग नहीं करनी चाहिए थी। इसकी सूचना विभाग को देनी चाहिए थी। इसके बाद नक्शे पारित करने की दूसरी गलती की गई है। डीएफओ ने कहा कि जब तक वन संरक्षण अधिनियम 1980 के प्रावधानों की पालना नहीं होती, तब तक इस क्षेत्र में निर्माण कार्य की भी अनुमति नहीं होगी।
यदि ऐसा तो…
इस मसले पर नगर परिषद तो घिरती नजर आ रही है। वन विभाग इस कारण संदेह के घेरे में आ रहा है, क्योंकि रमौल ने पिछले कुछ अरसे में भी बड़े स्तर पर अवैध कटान की बात कही है।