शिमला, 15 जनवरी : हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में स्टेट विजिलेंस व एंटी क्रप्शन ब्यूरो ने नेशनल काउंसिल फाॅर टीचर एजुकेशन (NCTE) की दो टीमों को शैक्षणिक संस्थानों की मान्यता को लेकर रिश्वत लेने के जुर्म में काबू किया है। दो टीमों के चार सदस्यों में दो महिलाएं शामिल हैं, इसमें से एक सदस्य महेश प्रसाद जैन की भूमिका की जांच जारी है। बताया ये भी जा रहा है कि काबू किए गए एनसीटीई के ये सदस्य अलग-अलग राज्यों में शीर्ष शैक्षणिक पदों पर आसीन हैं।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को मिली जानकारी के मुताबिक विजिलेंस को ये गोपनीय सूचना मिली थी कि गग्गल के एक होटल में ठहरी एनसीटीई की टीम संस्थानों की मान्यता को लेकर उगाही कर चुकी है। दबिश देेने पर मोटी रकम बरामद हो सकती है। विजिलेंस ने निजी होटल से लगभग 11.48 लाख की नकदी बरामद की है।
उधर, शनिवार शाम इंदौरा में स्टे विजिलेंस व एंटी क्रप्शन ब्यूरो ने एनसीटीई की टीम की सदस्य सीमाा शर्मा को 2 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथों भी काबू किया है। स्टेट विजिलेंस व एंटी क्रप्शन ब्यूरो की अपनी तरह की राज्य में ये पहली कार्रवाई हो सकती है। बता दें कि एनसीटीई द्वारा मान्यता देने से पहले शैक्षणिक संस्थानों का निरीक्षण करवाया जाता है। इसके लिए इंस्पेक्शन के मकसद से टीमों को भेजा जाता है। हालांकि, इस मामले से जुड़े अधिक तथ्य सामने आने बाकी हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि निजी होटल से उत्तर प्रदेश के संजीव कुमार व मध्य प्रदेश की काव्या दूबे के कब्जे से विजिलेंस को 11 लाख की राशि मिली हैै।
ये भी जानकारी आई है कि एनसीटी द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में निरीक्षण के लिए प्रोफैसर या सहायक प्रोफैसर स्तर के सदस्यों की टीम को अलग-अलग राज्यों में भेजा जाता है। बताया ये भी जा रहा था कि कांगड़ा में शैक्षणिक संस्थानों की मान्यता को लेकर एनसीटीई द्वारा 6 से 10 टीमों को भेजा गया था। इसमें से विजिलेंस के निशाने पर दो टीमें आई। बताया ये भी जा रहा है कि अलग-अलग टीमों के सदस्यों ने शाम को फ्लाइट से दिल्ली भी लौटना था।
उधर, एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में स्टेट विजिलेंस व एंटी क्रप्शन ब्यूरो के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सतिंद्र पाल सिंह ने कहा कि कार्रवाई जारी है। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि एक टीम के कब्जे से करीब 11 लाख की राशि बरामद हुई है, जबकि दूसरी टीम के सदस्यों को 2 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है।
रिश्वत क्यों….
दरअसल, हरेक शैक्षणिक संस्थान में कुछ कमियां होती हैं। मान्यता के लिए इन कर्मियों को अनदेखा करने की एवज में ही राशि वसूली जाती है। ये खेल, कब से चल रहा था, इसकी भी जांच विजिलेंस द्वारा अमल में लाई जा रही है। जानकारों का मानना है कि इस तरह के भ्रष्टाचार का खामियाजा अन्ततः स्टुडेंटस को ही भुगतना पड़ता है, क्योंकि संस्थानों द्वारा इसकी भरपाई स्टुडेंटस से ही की जाती होगी।