मंडी, 06 जनवरी : हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आज 57 बरस के हो गए हैं। करीब 52 साल की उम्र में सूबे की कमान संभालने वाले जयराम ठाकुर की सादगी व बेदाग छवि इस दौरान एक पूंजी बनकर सामने आई है। निश्चित तौर पर बेदाग छवि व सादगी की दरकार देश के हरेक राजनीतिज्ञ को रहती है, मगर काफी कम लोग इसे उस समय हासिल कर पाते हैं, जब वो जीवन के सर्वश्रेष्ठ मुकाम पर होते हैं।
6 जनवरी 1965 को सराज क्षेत्र के तांदी गांव के एक गरीब परिवार में जन्मे जयराम ठाकुर ने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। 33 साल की उम्र में पहली बार विधायक बनने वाले जयराम ठाकुर ने 19 साल की राजनीति में शायद ईमानदारी व सादगी की वजह से ही वो मुकाम हासिल किया है, जो कई राजनीतिज्ञ ताउम्र भी हासिल नहीं कर पाते हैं।
27 दिसंबर 2017 को जब जयराम ठाकुर को हिमाचल के नए मुखिया के तौर पर जिम्मेदारी मिली, उस समय राजनीति में भी एक नया आगाज हुआ। दिग्गजों के बीच पारिवारिक जंग खत्म हुई और जयराम ठाकुर राजनीति का एक नया सितारा बनकर उभरे। चार साल के कार्यकाल के दौरान एक अलग पहचान बनाई है। केंद्र से भी मधुर संबंध बनाकर राज्य के विकास के लिए काफी कुछ ऐसा किया, जो अनुकरणीय रहा। शांत स्वभाव के तौर पर भी पहचान बनाने वाले सीएम जयराम ठाकुर न केवल प्रदेश हित में 16 घंटे तक काम करने का मादा रखते हैं, बल्कि सख्ती व नरमी से भी काम लेने में महारत हासिल कर चुके हैं। चार साल के कार्यकाल में चार बार प्रधानमंत्री का दौरा राज्य में हो चुका है।
3 अक्तूबर 2020 को अंतरराष्ट्रीय पटल पर आई अटल रोहतांग टनल के लोकार्पण पर भी प्रधानमंत्री ने सीएम की पीठ थपथपाने में कोई कोर-कसर नहीं रखी थी। राज्य सरकार ने इस शानदार लोकार्पण में बड़ी भूमिका निभाई थी।
इसके बाद बीती 27 दिसंबर को अपने गृहजिला के मुख्यालय पर एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाकर जयराम ठाकुर ने जहां सरकार के चार वर्षों का जश्न मनाया, वहीं इस बात का लोहा भी मनवा दिया कि उनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संगठन व सरकार के साथ कितनी नजदीकियां हैं। अब जयराम ठाकुर की सरकार चुनावी वर्ष में प्रवेश कर चुकी है और इस वर्ष उनके समक्ष पूरे प्रदेश के लोगों को अपनी सरकार की तरफ और ज्यादा आकर्षित करने की बड़ी चुनौती है।
कोरोना खा गया दो साल, टीकाकरण महाभियान में किया कमाल
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के चार वर्षों के कार्यकाल में से लगभग दो साल का वक्त वैश्विक महामारी कोरोना में गुजर गया। लेकिन इस दौर को संभालने में भी जयराम ठाकुर ने कोई कसर नहीं छोड़ी। विकास के कार्य भी नहीं रुकने दिए और कोरोना के खिलाफ जंग को भी जारी रखा। जब बारी टीकाकरण की आई तो देश भर में कोरोना की पहली डोज सबसे पहले लगाने का लक्ष्य हासिल किया और उसके बाद भी इस महाभियान को जारी रखा और दूसरी डोज के लक्ष्य को भी देश भर में सबसे पहले पूरा किया।
निजी जीवन से जुड़े अहम पहलू..
सराज विधानसभा क्षेत्र को प्रकृति ने सुंदरता का अपार भंडार बख्शा है। प्राकृतिक सुंदरता के कारण चर्चा में रहने वाला सराज विधानसभा क्षेत्र आज किसी पहचान का मोहताज नहीं रहा है, क्योंकि इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाला शख्स आज प्रदेश की बागडोर संभाल रहा है। इसी विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत मुराहग के तांदी गांव में है प्रदेश के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का घर। 6 जनवरी 1965 को जेठू राम और बृक्कु देवी के घर जन्मे जयराम ठाकुर का बचपन गरीबी में कटा। परिवार में 3 भाई और 2 बहनें थी। पिता खेती बाड़ी और मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे।
जयराम ठाकुर तीन भाईयों में सबसे छोटे हैं, इसलिए उनकी पढ़ाई-लिखाई में परिवार वालों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। जयराम ठाकुर ने कुराणी स्कूल से प्राइमरी करने के बाद बगस्याड़ स्कूल से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वह मंडी आए और यहां से बीए करने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई पूरी की। जब जय राम ठाकुर वल्लभ कॉलेज मंडी से बीए की पढ़ाई कर रहे थे तो उन्होंने एबीवीपी के माध्यम से छात्र राजनीति में प्रवेश किया। यहीं से शुरूआत हुई जयराम ठाकुर के राजनीतिक जीवन की।
ठाकुर ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। एबीवीपी के साथ-साथ संघ के साथ भी जुड़े और कार्य करते रहे। वर्ष 1995 में जय राम ठाकुर ने जयपुर की डॉ. साधना सिंह के साथ शादी की। जयराम ठाकुर की दो बेटियां हैं और दोनों ही डॉक्टर की पढ़ाई कर रही हैं।