शिमला, 24 दिसंबर: फरार इंस्पेक्टर नीरज राणा प्रकरण के बाद हिमाचल का पुलिस मुख्यालय भी हिला है। सूबे के पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने लिखित तौर पर ये आदेश जारी किए हैं कि राजनीतिज्ञों की सिफारिश पर तब तक थाना प्रभारियों की नियुक्तियां नहीं की जाए, जब तक तैनात किए जा रहे अधिकारी की साख की परख न कर ली जाए।
बताया जा रहा है कि नीरज राणा की नियुक्ति भी राजनीतिक सिफारिश पर नादौन में बतौर थाना प्रभारी हुई थी। पुलिस महानिदेशक ने तमाम पुलिस अधीक्षकों को ये भी निर्देश दिए हैं कि थाना प्रभारी की नियुक्ति से पहले तमाम पड़ताल कर लें। इससे पहले तैनात किए जा रहे अधिकारी की कार्यशैली की समीक्षा 360 डिग्री पर की जाए, जिसमें उसके कार्य, निष्पक्षता व ईमानदारी इत्यादि का आकलन किया जाए। इसके लिए पुलिस अधीक्षक पूर्व में तैनात एसपी को भी संपर्क कर सकते हैं।
पुलिस मुख्यालय द्वारा अधिकारियों का एक पूल तैयार किया जाएगा, ताकि फील्ड में अधिकारियों की नियुक्ति के लिए जिला में तैनात पुलिस अधीक्षकों को मुख्यालय से इम्दाद उपलब्ध करवाई जा सके। नीरज राणा प्रकरण के बाद पुलिस मुख्यालय ने सख्त रुख अपनाया हुआ है। गिरफ्तारी को लेकर एसआईटी गठित की गई है। चूंकि, फरार इंस्पेक्टर ऊना से ताल्लुक रखता है, लिहाजा ऊना के पुलिस अधीक्षक को भी एसपी हमीरपुर की मदद करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि फरार आरोपी को जल्द से जल्द काबू किया जा सके।
उल्लेखनीय है कि वीरवार को पुलिस महानिदेशक ने सूबे के तमाम पुलिस अधीक्षकों से इस पूरे मसले पर वीडियो कॉन्फ्रेंस भी की थी। इसके बाद 23 दिसंबर की तारीख का पुलिस निदेशक द्वारा पुलिस अधीक्षकों को लिखा गया पत्र भी आज सामने आ गया है। आरोपी इंस्पेक्टर की संपत्तियों की जांच के लिए भी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। उधर, शुक्रवार शाम तक भी आरोपी नीरज राणा का कोई सुराग नहीं मिला था।
कुल मिलाकर तमाम आदेशों में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि स्पष्ट तौर पर राजनीतिज्ञों की सिफारिश का जिक्र किया गया है। गौरतलब है कि नादौन के थाना प्रभारी को विजिलेंस ने 25 हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार करना ही था कि वो रिश्वत की राशि लेकर ही फरार हो गया। इसके बाद इंस्पेक्टर की कार बरामद कर ली गई, इसमें से चिट्टा बरामद हुआ।