शिमला, 23 दिसम्बर : हिमाचल सरकार एक बार फिर एक हजार करोड़ का कर्ज उठाने जा रही है। केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद राज्य सरकार ने 500-500 करोड़ के दो कर्ज लेने की अधिसूचना जारी की है। कर्ज की इस राशि को सरकार को 10 और 12 सालों के बीच लौटाना होगा। कर्ज की इस राशि के साथ प्रदेश के खजाने पर कर्ज का कुल बोझ करीब 64 हजार करोड़ होगा।
दरअसल बीते दिनों धर्मशाला के तपोवन में हुए विधान सभा के शीत कालीन सत्र में पेश की गई कैग की 2019 -20 की रिपोर्ट में प्रदेश पर 62 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज का बोझ का खुलासा किया गया था। साथ ही इसी सत्र में कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह के सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि बीते तीन सालों में सरकार ने 16 हजार करोड़ से अधिक के ऋण लिए हैं। प्रदेश के आर्थिक साधन सीमित हैं।
सीमित संसाधनों के बावजूद कर्मचारियों को छठे पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत नए वेतन मान देना सरकार की बाध्यता है। साथ ही महंगाई भत्ते की किश्त का अतिरिक्त बोझ भी खजाने पर पड़ा है। नए वेतन मान देने के बाद प्रदेश के बजट का 50 फीसद कर्मचारियों के वेतन और भत्तों के साथ साथ रिटायर कर्मचारियों के पेंशन के भुगतान पर होगा।