शिमला, 01 दिसम्बर : नौकरी की तलाश में देश के विभिन्न राज्यों में रह रहे प्रवासी हिमाचलियों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की तैयारी कर दी हैं। अखिल भारतीय प्रवासी हिमाचली संयुक्त मोर्चा ने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि चिकित्सा शिक्षा में प्रवासी हिमाचली राज्य कोटा बहाल किया जाए।
मंगलवार को शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता में संयुक्त मोर्चा के सचिव राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि प्रदेश की मौजूदा सरकार ने साल 2018 में उन छात्रों को 85 फीसदी हिमाचली कोटे से बाहर कर दिया है, जिनके माता-पिता राज्य से बाहर निजी क्षेत्र में काम कर रहे हैं, क्योंकि उनकी स्कूली शिक्षा राज्य के बाहर के बोर्ड से हुई है, जिसके चलते वे हिमाचल में चिकित्सा की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बाहरी राज्य में रह रहे हिमाचल के प्रवासी छात्र मैडिकल शिक्षा में रोजगार पाने के लिए तरस रहे है। बच्चों ने 12वीं तक की पढ़ाई तो बाहरी राज्य से कर ली है, लेकिन हिमाचल में प्रवासी छात्रों को मैडिकल शिक्षा क्षेत्र एम.बी.बी.एस., बी.डी.एस. व आयुर्वेदा में नीट की परीक्षा नहीं दे सकते है।
राजेंद्र ठाकुर ने कहा कि हिमाचल से करीब 15 लाख से ज्यादा लोग नौकरी के चलते में दूसरे राज्य में रह रहे हैं, लेकिन अब उनके बच्चों को चिकित्सा क्षेत्र में 2012 में बहाल किए गए 85 फीसदी कोटे को बंद कर दिया है, जिससे लाखों छात्र चिकित्सा क्षेत्र में पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2012 में पूर्व सरकार वीरभद्र सिंह की सरकार ने इस कोटे को बहाल किया था लेकिन 2018 में मौजूदा सरकार ने इस कोटे को बंद कर दिया है. अब प्रवासी हिमाचलियों ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ एकजुट होकर अखिल भारतीय प्रवासी हिमाचली संयुक्त मोर्चे का गठन किया है जो आगामी दिनों में दिल्ली में एक बैठक कर अगली रणनीति बनाएंगे।
उन्होंने बताया कि कोटे की बहाली को लेकर बीते 9 सितंबर को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को एक ज्ञापन सौंपा था जिस पर सीएम ने कोई निर्णय नहीं लिया है इसके बाद 10 सितंबर को राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ को भी मांगपत्र सौंपा था लेकिन कोई भी सकारात्मक निर्णय नहीं लिया गया है,
अब मोर्चे ने इस मुद्दे को लेकर नई रणनीति बनाने का निर्णय लिया है जिसके लिए दिल्ली में जल्द बैठक आयोजित की जाएगी जिसमें देशभर के प्रवासी हिमाचली संगठन भाग लेंगे। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि चिकित्सा शिक्षा में 85 फीसदी कोटा बहाल करने की मांग की है।