शिमला, 26 नवंबर : 26/11 आतंकी (Terrorist Attack) हमले के 13 साल पूरे होने पर देश भर में ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो (operation Black Tornado) के जांबाजों को नमन किया जा रहा है। इस बीच हम आपको बताना चाहते है कि इस ऑपरेशन की कमांड हिमाचली लाल ने संभाली थी। वो रियल लाइफ के हीरो है .. “ब्रिगेडियर(Retired) गोविंद सिंह सिसोदिया”, जिन्होंने आतंकी अजमल कसाब को टेरोगेट (पूछताछ) किया था।
ऑपरेशन के मुखिया (Chief) शिमला के चौपाल के एक छोटे से गांव भरनो के रहने वाले है। हैरान करने वाली बात ये भी है कि सेवानिवृत ब्रिगेडियर(Retired) सिसोदिया को इन 13 सालों में हिमाचल सरकार ने एक बार भी सम्मानित (Honour) नहीं किया। एनएसजी में डीआईजी (DIG of NSG) के पद पर तैनात ब्रिगेडियर सिसोदिया उस खौफनाक रात का किस्सा कई बार बता चुके है।
उन्होंने क्रमवार तरीके से उस खौफनाक रात का खुलासा भी किया था, जब वो दिल्ली में घर पर थे। पत्नी दूसरे कमरे में थी और वो खुद टीवी देख रहे थे। मुंबई हमला एक गैंगवार (Gangwar) प्रतीत हुआ, लेकिन कुछ देर बाद स्थिति साफ हुई। ये एक आतंकी हमला था। उन्हें रात को ही पैकअप (Pack up) कर मुंबई रवानगी के लिए एयरपोर्ट (Airport) पहुंचने के आदेश मिले।
ये है सच..
ब्रिगेडियर सिसोदिया उस रात वो पत्नी को बगैर बताए ही घर से निकल गए थे। बेटा अभिमन्यु उस समय पुणे में एमबीए कर रहा था। पत्नी को ऑपरेशन (Operation) पर निकलने की जानकारी सुबह तब मिली जब बेटे को दोस्तो ने बताया कि उसके पापा टीवी पर हैं। बताते हैं, 1987 में श्रीलंका में भी वो जाबांज सिंसोदिया एक आतंकी हमले में घायल हुए थे। इसकी जानकारी भी परिवार को नहीं दी थी, क्योंकि फौजी (Soldier) अपने परिवार से बढ़कर देश को समर्पित होता है। उन्होंने बताया था कि 26/11 के हमले में वो तीन दिन तक लगातार जागते रहे थे। उल्लेखनीय है कि मुंबई हमले पर सफल ऑपरेशन के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा मैडल भी दिया गया था।
ये है परिचय…
1975 में 16 सिख रेजीमेंट (Sikh Regiment) से भारतीय सेना में अपना कैरियर शुरू किया। मंडी के सरकारी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद आगे की पढ़ाई शिमला में की। करीब 35 साल तक भारतीय सेना का हिस्सा रहे। देहरादून में सैटल (Settle) हो चुके ब्रिगेडियर सिसोदिया मुंबई हमले के दौरान एनएसजी के डीआईजी थे।
ये नहीं भूले…
26/11 के आतंकी हमले में ब्रिगेडियर उस पल को भी नहीं भूलते, जब एक मीडियाकर्मी ने उनकी पत्नी नीरजा सिसोदिया से ये पूछ लिया था कि आपकी ब्रिगेडियर साहब से अंतिम बार कब बात हुई है। उस समय कुछ देर के लिए परिवार ने यही सोच लिया था कि वो शहीद हो चुके हैं। दंग करने वाली यह है कि पूरी दुनिया में अपनी जांबाजी के लिए पहचान रखने वाला लाल अपने ही पैतृक प्रदेश में अनदेखी का सामना कर रहा है। ऑपरेशन को चलाने के लिए ब्रिगेडियर सिसोदिया को कई सम्मानों से नवाजा गया। उन्होंने अनुभवों को अंतरराष्ट्रीय स्तर (International Level) पर भी कई बार साझा किया। पूर्व सैन्य अधिकारी ने इस हमले को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री (Documentary) में भी जानकारी दी थी, जिसे जर्मनी (Germany) व यूरोप (Europe) में रिलीज किया गया था।