रोनहाट, 14 नवंबर : सिरमौर ज़िला की सबसे ऊँची चोटी और बाहरी हिमालय की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला में शुमार 11965 फ़िट की ऊँचाई पर स्थित भगवान शिरगुल महादेव की पावन तीर्थ स्थली चूड़धार मंदिर के कपाट अब अप्रेल महीने की बैसाखी तक आधिकारिक रूप से बंद कर दिए गये है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार रविवार को देवठन के दिन सराहां से बिजट महाराज अपने बड़े भाई शिरगुल महादेव से मिलन के लिए चूड़धार मंदिर पहुँचे जहां पवित्र बावड़ी में स्नान के पश्चात विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई जिसके बाद चूड़धार मंदिर के कपाट को आगामी अप्रैल माह की बैसाखी तक आधिकारिक रूप से बंद किया गया है।
आपको बताते चले की देवठन के दिन सराहां में स्थित अपने मंदिर से हर वर्ष बिज़ट महाराज अपने बड़े भाई शिरगुल महाराज से मिलन के लिए चूड़धार मंदिर पहुँचते है, जहां विधि विधान के साथ शिरगुल महादेव और बिज़ट महाराज की दिव्य पूजा अर्चना होती है। इस दिन पवित्र बावड़ी के जल से स्नान करने का भी विशेष महत्व माना जाता है।
चूड़धार मंदिर के मुख्य पुजारी और शारदा मठ आश्रम के ब्रह्मचारी स्वामी विरेंद्रानंद और स्वामी कमलानंद ने बताया कि आज से मंदिर के कपाट को आधिकारिक रूप से बंद किया गया है जिसे अप्रैल माह की बैसाखी के दिन खोला जाएगा। बैसाखी के पर्व तक चूड़धार मंदिर में लंगर और रात्रि विश्राम सहित सभी सुविधाएँ बंद रहेगी। उन्होंने सभी शिरगुल भक्तों से आग्रह किया है की अपनी चूड़धार यात्रा को अप्रैल माह की बैसाखी पर्व तक स्थगित करे।