शिमला, 13 अक्टूबर : जुब्बल कोटखाई विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवारों की तस्वीर बुधवार को पूरी तरह साफ हो गई। बुधवार को नामांकन वापसी के अंतिम दिन किसी भी उम्मीदवार ने नामांकन वापस नहीं लिया। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस उम्मीदवार को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर दिवंगत विधायक नरेंद्र बरागटा के पुत्र चेतन बरागटा टक्कर देंगे। चेतन बरागटा के चुनाव मैदान में डटे रहने से इस सीट पर मुकाबला काफी रोचक हो गया है। कोशिशों के बाद भी भाजपा संभावित डैमेज कंट्रोल नहीं कर पाई।
बुधवार को सबकी नजर चेतन बरागटा पर लगी रही। भाजपा नेतृत्व ने चेतन बरागटा संपर्क साधने का भरसक प्रयास किया, ताकि नामांकन वापसी के लिए उन्हें मनाया जा सके। लेकिन बरागटा रहस्यमयी तरीके से गायब रहे। उनका मोबाइल फोन दोपहर बाद तक बंद रहा। शाम को चेतन ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर जानकारी दी कि वह चुनाव मैदान में डटे हुए हैं और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव आयोग ने उन्हें सेब चिन्ह दिया है। कहा कि वह जुब्बल- कोटखाई के विधायक रहे दिवंगत पिता नरेंद्र बरागटा के विकास के सपने को पूरा कर दिखाएंगे और इसके लिए उन्हें यहां की जनता का आर्शीवाद चाहिए।
जुब्बल कोटखाई में अब मुकाबले में चार उम्मीदवार हैं। कांग्रेस से पूर्व विधायक रोहित ठाकुर, भाजपा से जिला परिषद सदस्य रही नीलम सरैइक, निर्दलीय उम्मीदवार चेतन बरागटा और सुमन कदम शामिल हैं। भाजपा के कब्जे वाली इस सीट पर विधायक नरेंद्र बरागटा के निधन के कारण उपचुनाव हो रहे हैं। इस सीट पर अधिकतर मर्तबा कांग्रेस का कब्जा रहा है। उधर भाजपा ने चेतन बरागटा को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया है।
Shimla : निर्दलीय चुनाव लड़ने पर चेतन बरागटा BJP से छह साल के लिए निष्कासित
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के नरेंद्र बरागटा ने कांग्रेस के रोहित ठाकुर को दो हजार से कम मतों से शिकस्त दी थी। इसी साल जून माह में नरेंद्र बरागटा का निधन हो गया था। इस सीट पर टिकट आबंटन को लेकर भाजपा में घमासान मचा रहा। दरअसल नरेंद्र बरागटा के निधन के बाद प्रदेश भाजपा नेतृत्व के निर्देश पर चेतन बरागटा भाजपा उम्मीदवार के तौर पर हल्के में सक्रिय रहे। लेकिन भाजपा आलाकमान ने परिवारवाद का हवाला देकर चेतन बरागटा को टिकट नहीं दिया। भाजपा ने महिला नेत्री नीलम सरैइक को उम्मीदवार बनाया, जिससे चेतन बरागटा नाराज हो गए और भाजपा में बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी समर में कूद गए।
जानकारी अनुसार प्रदेश भाजपा नेतृत्व की तरफ से उन्हें मनाने की तमाम कोशिशें की गईं, लेकिन चेतन बरागटा नहीं माने। इस सीट पर अब बेहद रोचक मुकाबला होने के आसार हैं। आगामी दिनों में सभी उम्मीदवार चुनाव प्रचार में अपनी ताकत झोंकेंगे। वीरवार से चुनाव प्रचार में तेजी आएगी। भाजपा के लिए इस सीट को बरकरार रखना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। भाजपा में भीतरघात से कांग्रेस पार्टी को फायदा मिल सकता है।