शिमला, 11 अक्टूबर : केंद्र सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के लिए चलाई गई योजनाओं पर बजट खर्च न करने पर हिमाचल अनुसूचित जाति महासंघ मुखर हो गया है। महासंघ ने सरकार पर योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू न करने और अनुसूचित जाति वर्ग की योजनाओं पर 25 फीसदी बजट खर्च न करने के आरोप लगाए हैं।
महासंघ के मुख्य सलाहकार पीएस दरैक ने प्रेस वार्ता में कहा कि प्रदेश में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 25 फीसदी है लेकिन सरकार अनुसूचित जातियों पर नाम मात्र का बजट खर्च करती है। इस वजह से अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के हितों का हनन हो रहा है।
जिला में आयोजित महासंघ के सलाहकार प्रेम सिंह दरैक ने कहा कि पंच वर्षीय योजना 1980-85 के समय से योजना आयोग ने अनुसूचित जाति विशेष घटक योजना 2006 से अनुसूचित जाति उपयोजना शुरु की है लेकिन प्रदेश सरकार ने इस योजना को 1979-80 में अपनाया।.उन्होंने कहा कि प्रदेश में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 25 फीसदी से ज्यादा है जो पंजाब के बाद देश में दूसरे स्थान पर है।
उन्होंने कहा कि अब तक केंद्र और राज्य सरकार की ओर से करीब 33 सौ करोड़ रुपए बजट का प्रावधान किया गया है। लेकिन यह अनुसूचित जाति वर्ग पर खर्च नहीं हो पाया है न ही इस बजट का आधा बजट खर्च कर पाया है, जिसको देखते हुए महासंघ ने प्रदेश के लोगों को जागरूक करने का ऐलान किया है और प्रदेश सरकार से अनुसूचित जाति वर्ग के बजट को बहाल करने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि वे इस सम्बंध में कई बार मुख्यमंत्री से मिले हैं लेकिन अब तक यह बजट नहीं दिया गया है। यदि इस बजट को खर्च किया जाए तो शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में इस वर्ग का उत्थान होगा। दरैक ने कहा कि वे इस उपयोजना के सम्बंध में प्रदेश की जनता को जागरूक करेंगे, इसके लिए प्रदेश स्तर पर सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो धन अनुसूचित जाति के शैक्षणिक, सशक्तिकरण, आर्थिक मजबूती व सामाजिक न्याय में खर्च होना चाहिए वह कहीं और खर्च हो रहा है जिससे अनुसूचित जाति वर्ग का हनन हो रहा है।