सोलन, 25 सितंबर : जिद के आगे असफलता घुटने टेक देती है। बशर्ते कड़ी मेहनत व एकाग्रता के दम पर हठ से मंजिल को पाने की चाहत हो। कुछ किए बगैर ही जय-जय कार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। इन पंक्तियों को शहर के 29 वर्षीय व्योम बिंदल ने सार्थक कर दिखाया है।
बेशक ही यूपीएससी क्रैक करने वालों की संख्या 750 के पार है, लेकिन शहर के व्योम बिंदल की सफलता लीक से हटकर है, क्योंकि सात साल की कठिन यात्रा हर कोई नहीं कर सकता। सात साल पहले एक होनहार लड़के ने एनआईटी हमीरपुर से मेकेनिकल ट्रेड में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर ली। मल्टी नेशन कंपनी में नौकरी भी मिल गई। अचानक ही यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने का फितूर पैदा हो गया।
एक नहीं, व्योम को 5 बार असफलता का सामना करना पड़ा। छठे व अंतिम प्रयास में व्योम ने अपनी पूरी ताकत झौंक दी थी। शिद्दत से कोशिश की गई, 24 सितंबर 2021 की शाम वो सपना साकार हुआ, जो व्योम ने 2014 में देखा था। यूपीएससी के नतीजे में व्योम को 141वां रैंक हासिल हुआ। आईपीएस अधिकारी बनना तय है। देश की सबसे कठिन परीक्षा में व्योम ने साबित कर दिया है कि हताशा को कभी भी हावी न होने दें।
हालांकि, बार-बार असफलता मिलने के बाद व्योम ने अपना पारिवारिक कारोबार भी संभाल लिया था। लेकिन यूपीएससी को लेकर हिम्मत नहीं छोड़ी। सात साल तक रोजाना 7 से 8 घंटे की पढ़ाई व्योम की दिनचर्या बन गई थी। खास बात ये है कि एक आईपीएस अधिकारी के तौर पर व्योम बिंदल का विजन बिलकुल साफ है। बता दें कि रिश्ते में हिमाचल के पूर्व स्पीकर डाॅ. राजीव बिंदल का व्योम पोता है। व्योम के पिता के डाॅ. राजीव बिंदल सगे चाचा हैं।
ये बोले व्योम….
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत के दौरान व्योम बिंदल काफी आत्मविश्वास से भरे नजर आए। खुलकर 7 साल की कठिन यात्रा के बारे में चर्चा की। बोले इस दौरान देश में बहुत कुछ बदला। कोविड संकट का भी सामना किया, मगर अर्जुन की तरह लक्ष्य को भेदने के लिए अटल इरादा बनाए रखा।
एक सवाल के जवाब में व्योम ने कहा कि हताशा अक्सर घेर लेती थी। ऐसा लगता था कि अगर सफलता नहीं मिली तो जीवन के सात साल का हिसाब कैसे होगा। समाजसेवी पिता अरविंद बिंदल एक मजबूत स्तम्भ की तरह कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे। परिवार के हर कदम पर सहयोग ने निराशा व हताशा को मुझ पर हावी नहीं होने दिया।
युवाओं को संदेश के बारे में पूछे गए सवाल पर व्योम ने कहा कि जीवन में ये तय होना चाहिए कि सफलता तो जिद से ही मिलेगी। बार-बार हार भी मिले तो कदम नहीं लड़खड़ाने चाहिए। हमेशा ही हार के बाद जीत होती है।
सोलन ने दिया तीन साल में दूसरा IPS…
तीन साल के अंतराल में सोलन ने देश को दूसरे आईपीएस के तौर पर व्योम बिंदल को दिया है। 2018 में सोलन के ब्रूरी के नजदीक पड़ग पंचायत के जराई गांव की रहने वाली चारू शर्मा का चयन आईपीएस के लिए हुआ था। इस समय चारू शर्मा हिमाचल में ही एसडीपीओ के पद पर बंजार में तैनात हैं।
खास बात ये है कि तीन वर्षों में सोलन का सफर बेहद ही शानदार रहा है। गत वर्ष नालागढ़़ की मुस्कान जिंदल ने यूपीएससी में 87वां रैंक हासिल किया था। मुस्कान का चयन भारतीय विदेश सेवा के लिए हुआ। इस साल बद्दी के विशाल चौधरी को भी 665वां रैंक मिला है। यानि तीन सालों में चार युवाओं ने अपनी काबलियत का डंका बजाकर न केवल अपने माता-पिता, बल्कि समूचे हिमाचल का नाम राष्ट्रीय पटल पर रोशन किया है।