सोलन, 5 सितंबर: कंडाघाट उपमंडल की कलहोग वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में कमल किशोर शर्मा इस समय प्रिंसिपल के पद पर तैनात हैं। रविवार को वर्चुअल माध्यम (virtual medium) से राष्ट्रीय पुरस्कार को शिमला सचिवालय में प्राप्त किया। प्रशस्तिपत्र व पदक पहले ही डाक से पहुंच गया था। बता दें कि गणित (mathematics) के प्रवक्ता (Spokesman) व मौजूदा में प्रिंसिपल कमल किशोर शर्मा को 2015 में भी शिक्षक दिवस के मौके पर स्टेट अवार्ड हासिल हुआ था।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने जब नेशनल अवार्ड (National Award) जीतने वाले शिक्षक से उपलब्धियों के बारे में पूछा…तो बोले, कहां से शुरू करुं।
खैर, कबाड़ (Trashy) से जुगाड़ व स्कूल भवन के लिए 13 रजिस्ट्रियों के माध्यम से तीन बीघा भूमि का इंतजाम खास उपलब्धियों (special achievements) में शामिल है। कलहोग स्कूल में करीब एक साल पहले जब तैनाती हुई तो स्कूल के पास एक इंच भी अपने नाम पर भूमि नहीं थी। यह अलग बात है कि 8 बीघा भूमि पर कब्जा चल रहा था। ऐसे में स्कूल का भवन नहीं बन पा रहा था। कब्जे वाली भूमि के 152 हिस्सेदार थे, ऐसे में भूमि को स्कूल के नाम करवाना नामुमकिन (impossible) सा लग रहा था।
स्कूल की भूमि हासिल करने के लिए कोविड संकट में भी घर-घर घूमते रहे। यही नहीं, क्षेत्र में उन बच्चों को भी घर में ही शिक्षा देते रहे, जो मोबाइल व इंटरनेट सुविधा न होन के कारण ऑनलाइन शिक्षा से वंचित थे। प्रयास उस समय रंग लाया, जब 15 भू मालिकों से तीन बीघा भूमि शिक्षा विभाग (education Department) के नाम करवा ली। इसके लिए उन्हें 13 मर्तबा रजिस्ट्रियों के लिए तहसील कार्यालय (Tehsil Office) भी जाना पड़ा। भू मालिकों को अपने निजी वाहन में पंजीकरण दफ्तर (registration office) पहुंचाते थे। ये एक ऐसी जटिल प्रक्रिया (complex process) थी, जो आसान नहीं थी। अब स्कूल का भवन बन सकेगा।
कलहोग में स्थानांतरण (Transfer) होने से पहले वो बद्दी के धरेड़ स्कूल में तैनात थे। एमडीएम की कक्षाएं छात्र जमीन पर बैठकर लगाते थे। शिक्षक कमल किशोर शर्मा ने स्कूल के बेकार फर्नीचर (waste furniture) का बेहतरीन तरीके से उपयोग किया। छात्रों को डेस्क भी नसीब हो गए। इसके लिए 10 हजार रुपए की राशि निजी प्रयासों से एकत्रित की।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कमल किशोर शर्मा ने कहा कि वो जीवन में बेहतरीन करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर पुरस्कार मिलने से मनोबल बढ़ा है। अब ध्येय है कि जल्द से जल्द स्कूल का भवन बन जाए। उल्लेखनीय है कि भूमि उपलब्ध न होने की वजह से कलहोग स्कूल का भवन एक खंडहर शक्ल ले चुका है। अब ऐसे शिक्षक होंगे तो निश्चित तौर पर छात्रों का भविष्य उज्जवल होगा