शिमला, 13 अगस्त : पक्षियों से अथाह स्नेह एक जुनून है। पक्षियों की दुर्लभ फोटोग्राफी एक लंबे सब्र का इम्तिहान होती है। सालों तक भी कई बार मनचाही बात पूरी नहीं होती। मगर, पक्षियों के प्रति दीवानगी रखने वाले बर्ड वाॅचर व वनरक्षक गजेंद्र वर्मा को चंबा के डलहौजी उपमंडल की उदयपुर बीट में ही इत्तफाकन रस्टिक बंटिंग (Rustic Bunting) प्रजाति की चिड़िया मिल गई। यही नहीं, इस दुर्लभ चिड़िया ने गजेंद्र वर्मा को तीन एंगल से तस्वीर खींचने का भी मौका दे दिया।
ये वाकया, चंबा की उदयपुर बीट में 3 मार्च 2021 को हुआ। अब चूंकि 8 जुलाई 2021 को ये साइटिंग इंडियन बर्ड वाॅल्यूम पत्रिका (Indian Bird Volume Magazine) में भी प्रकाशित हो गई है, लिहाजा पक्षी को देखने के उन पलों को गजेंद्र खुलकर सांझा करने की स्थिति में है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में वनरक्षक गजेंद्र वर्मा का कहना था कि इससे पहले पक्षी की साइटिंग (Sighting) अरुणाचल प्रदेश में हुई थी। ये उनकी खुशकिस्मती है कि भारत में ये पक्षी उन्होंने दूसरी बार देखा।
गजेंद्र बताते हैं कि वो वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी (Wild Life Photography) को लेकर हर वक्त उत्साहित रहते हैं, क्योंकि पक्षियों की चुलबुलाहट व खूबसूरती को महसूस करना दिल को अलग ही सुकून देता है। वो मानते हैं कि वास्तव में ही वन्यजीवों के साथ-साथ दुर्लभ पक्षियों के दीदार भी आसान नहीं होते। कई बार इत्तफाकन ही हो जाते हैं। वनरक्षक गजेंद्र ने कहा कि तस्वीरें क्लिक करने के बाद इन्हें एक्सपर्टस (Experts) को भेजा गया, तब उन्हें पता चला कि इस पक्षी की खासियत क्या है। जब ये पता चला कि भारत में ही इस पक्षी को देखने वाले वो दूसरे शख्स हैं तो खुशी ही अलग थी। आम लोगों को पक्षी सामान्य लगते हैं, लेकिन इनकी जानकारियां बेहद ही रोचक व रोमांचित करने वाली होती हैं।
रशिया में पाया जाने वाला पक्षी साइबेरिया, मंगोलिया व चीन (Siberia, Mongolia and China) तक प्रवास करता है। गजेंद्र वर्मा करीब 10 साल से जैव विविधता पर शोध कर रहे हैं। अब तक गजेंद्र वर्मा ने पौधों की 500 प्रजातियां, पक्षियों की 180 व तितलियों की 50 प्रजातियों की पहचान की है।
गौरतलब है कि देश में लाखों बर्ड वाॅचर हैं। ऐसे में घर पर ही दुर्लभ पक्षी से रू-ब-रू होना इत्तफाक ही है। शायद, ये पक्षी भी समझते हैं कि कौन उन्हें प्रेम करता है और कौन उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है।
ये है पक्षी की खासियत…
ये प्रजाति गीले शंकुधारी वनों में प्रजनन करती है। 4 से 6 अंडों को झाड़ी या जमीन पर घौंसले में रखा जाता है। इसका प्राकृतिक भोजन बीज होता है। युवा अवस्था में कीड़े भी पंसदीदा आहार बन जाते हैं। नर पक्षी के पास सफेद गले व सुपर सिलियस (super silius) और एक लाल स्तन (red breast) के साथ एक काला सिर होता है। जबकि मादा में एक सफेद सुपर सिलियस के साथ एक धारीदार भूरी पीठ व भूरे रंग का चेहरा होता है। ये प्रवासी पक्षी है। दक्षिण-पूर्व एशिया, जापान व पूर्वी चीन में सर्दी के दौरान प्रवास करता है। यह पश्चिम यूरोप के लिए एक दुर्लभ पथिक है।