शिमला, 04 अगस्त : महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला बाल विकास विभाग शिमला द्वारा राजधानी शिमला के मशोबरा में वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) संचालित किया जा रहा है। इस सेंटर में सेवारत आउटसोर्स महिला का शोषण हो रहा है। सेंटर में महिला स्टाफ से लगातार 24 घण्टे की ड्यूटी करवाकर श्रम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
वन स्टॉप सेंटर मशोबरा की केंद्रीय प्रबंधक (सेंटर एडमिस्ट्रेटर) की तरफ से बाकायदा आउटसोर्स महिला कर्मियों की 24 घंटे नाइट ड्यूटी का रोस्टर जारी किया गया है तथा कर्मियों को रोस्टर के अनुसार 24 घंटे ड्यूटी देने के सख्त निर्देश हैं। पिछले पांच महीनों से इस सेंटर में आउटसोर्स पर सेवारत महिला कर्मी रोस्टर के तहत 24 घंटे ड्यूटी देने को मजबूर हैं। कोरोना कर्फ्यू के दौरान भी आउटसोर्स महिला स्टाफ से इस सेंटर में 24 घंटे ड्यूटी ली गई।
इस सेंटर को चलाने का सारा जिम्मा शिमला के जिला कार्यक्रम अधिकारी (डी.पी.ओ.) का है। चौंकाने वाली बात ये है कि डी.पी.ओ. दफ्तर शिमला का सांख्यिकी सहायक (स्टैटिकल असिस्टेंट) मशोबरा सेंटर के आउटसोर्स स्टाफ को लगातार चार दिन डे-नाइट ड्यूटी लगाने के सख्त ऑर्डर जारी कर रहा है। यहां आउटसोर्स पर तैनात एक युवती ने लगातार चार दिन डे-नाइट ड्यूटी देने पर जब एतराज जताया, तो स्टैटिकल असिस्टेंट की तरफ से कहा गया कि जॉब करनी है, तो लगातार चार दिन डे-नाइट ड्यूटी देनी पड़ेगी।
“आउटसोर्स महिला कर्मियों से 24 घंटे डे-नाइट ली जा रही ड्यूटी, ऑडियो”
इस पर आउटसोर्स पर नौकरी कर रही युवती रोने लगती है और अपने बीमार पिता का जिक्र करती है कि उसके पिता को लंग्स इन्फेक्शन है और अगर वो चार दिन लगातार मशोबरा वन स्टॉप सेंटर में ड्यूटी पर रहेगी, तो उसके बीमार पिता की देखभाल कौन करेगा। युवती बोलती है कि वो रोस्टर के हिसाब से डे-नाइट ड्यूटी तो दे ही रही है, लेकिन लगातार चार दिन ड्यूटी कैसे देगी। इस पर स्टैटिकल असिस्टेंट युवती को डीपीओ से बात करने को कहता है। आउटसोर्स पर नियुक्त युवती और अधिकारी के बीच बातचीत की ऑडियो क्लिप में इस बात की पुष्टि हुई है।
इसके अलावा वन स्टॉप सेंटर की एक अन्य युवती ने आरोप लगाया है कि सेंटर में 24 घंटे ड्यूटी देने के बावजूद उसकी अब्सेंट लगाई गई है। इस महिला कर्मी ने बताया कि 19 जुलाई को उसने दूसरे महिला कर्मी के आग्रह पर उसकी जगह सेंटर में 24 घंटे की ड्यूटी दी थी, लेकिन फिर भी उसकी अब्सेंट लगाई गई और महिला बाल विकास शिमला के कार्यालय का एक अधिकारी उसे ये कहकर धमका रहा है कि अब उसकी सैलरी काटी जाएगी।
उधर, राज्य में वन स्टॉप सेंटर की देखरेख का जिम्मा सम्भाल रहे महिला बाल विकास के उपनिदेशक अर्जुन नेगी ने बताया कि वन स्टॉप सेंटर का 24 घंटे, सातों दिन खुला रहना अनिवार्य है, लेकिन सेंटर में कर्मचारियों की लगातार 24 घंटे ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती है। ये नियमों के विपरीत है। कर्मचारियों की रोटेशन के आधार पर 24 घंटे ड्यूटी लगाने का प्रावधान है।
वहीं, इस मसले पर शिमला की जिला कार्यक्रम अधिकारी वंदना चौहान (डी.पी.ओ.) ने इस मामले के संज्ञान लेने की बात कही है। उन्होंने भी माना कि वन स्टाप सेंटर में किसी भी आउटसोर्स स्टाफ की 24 घंटे की ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती है। बताते चलें कि वन स्टॉप सेंटर के लिए केंद्र सरकार फंड देती है। हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और शिमला जिला प्रशासन की ओर से मशोबरा में वन स्टॉप सेंटर की शुरुआत इसी साल मार्च महीने से की गई है। यह जिला शिमला में पहला वन स्टॉप सेंटर है।
वन स्टॉप सेंटर में पीड़िता को एक ही छत के नीचे मेडिकल, लीगल, मनोवैज्ञानिक और साथ में पुलिस की सहायता 24 घंटे सातों दिन निशुल्क सुविधा देने का प्रावधान रहता है। चौंकाने वाली बात ये है 24 घंटे खुले रहने के बावजूद मशोबरा वन स्टाप सेंटर में सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। इस सेंटर में सीसीटीवी कैमरों व अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी है। ये सेंटर बिना सिक्योरिटी गार्ड के चल रहा है। जबकि वन स्टाप सेंटर में रात के समय सिक्योरिटी गार्ड का होना जरूरी है। इस सेंटर में काउंसलर भी नियुक्त नहीं है।