कांगड़ा,26 जुलाई : मां ऐसा काम करके आऊंगा कि सारी दुनिया याद करेगी। कारगिल युद्ध में जाने से पहले अमृतसर रेलवे स्टेशन पर शहीद कैप्टन सौरभ कालिया ने अपनी माता विजया कालिया से यही शब्द कहे थे। जवाब में मां ने हंसते हुए कहा था कि बेटा कहीं रेलगाड़ी में ही मत सो जाना। अमृतसर रेलवे स्टेशन पर कैप्टन सौरभ को छोड़ने गए परिजनों को क्या पता था कि बेटे से उनकी यह आखिरी मुलाकात होगी। सौरभ कालिया छोटे भाई वैभव से अकसर कहते थे कि इंसान को कुछ ऐसा करना चाहिए कि लोग उन्हें याद करें।
केंद्रीय विद्यालय होल्टा में जमा दो के बाद सौरभ कालिया ने कृषि विवि पालमपुर में बीएससी की पढ़ाई शुरू की थी। उनका आईएमए में चयन हो गया था। पिता डॉ. एनके कालिया ने कहा कि सौरभ बेहद शांत स्वभाव के थे। वह बहुत कम बोलते थे। अपने पांच साथियों के साथ दुश्मनों की टोह लेने निकले कैप्टन सौरभ कालिया ने पाकिस्तान सेना की अमानवीय यातनाओं से शहादत पाई थी।
पिता बोले- सौरभ वन विहार में बेटे को देंगे श्रद्धांजलि
कारगिल युद्ध में शहीद कैप्टन सौरभ कालिया के परिजन अपने बेटे को सौरभ वन विहार बंदला (पालमपुर) में श्रद्धांजलि देंगे। शहीद कैप्टन विक्रम बतरा के परिजन पालमपुर में बनी उनकी प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
कैप्टन सौरभ कालिया को अमानवीय यातनाएं देने का मामला उनके पिता डॉ. एनके कालिया ने 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उठाया था। यह अब सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। उनकी मानें तो उन्हें इसका मलाल है कि 22 सालों में उन्हें केंद्र सरकार इंसाफ नहीं दिला पाईं। उन्हें पीएम मोदी से इंसाफ मिलने की आस है। कहा कि सुप्रीम कोर्ट में दो साल से कोरोना के कारण कोई तारीख नहीं हुई है।