रोनहाट, 01 जुलाई : सिरमौर के शिलाई उपमण्डल में एक ऐसी खूनी सड़क है, जिसमें बीते 26 वर्षों में 22 सड़क हादसे पेश आ चुके हैं और 104 लोग अपना अनमोल जीवन गंवा चुके हैं। बावजूद इसके दुर्गम क्षेत्र की करीब आधा दर्जन पंचायतों के हजारों ग्रामीण कोई अन्य विकल्प न होने के चलते जान हथेली पर रखकर इसी सड़क मार्ग पर सफर करने के लिए मजबूर हैं।
हाल ही में बारातियों को लेकर जा रही बोलेरो पिकअप भी इसी सड़क में दुर्घटनाग्रस्त हुई थी, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई और एक घायल व्यक्ति आज भी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रहा है।
टिम्बी से बकरास की तरफ जाने वाली करीब 7 किलोमीटर लंबी ये खूनी सड़क सैकड़ों घरों के चिराग बुझाने के बाद भी सरकार की उदासीनता और प्रशासन की लापरवाही के चलते लगातार खून की प्यासी बनी हुई है। जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा सड़क हादसों में मरने वाले प्रत्येक शख्स के परिजनों को औसतन 4 लाख रुपये बतौर मुआवजा राहत राशि दिया जाता है। ऐसे में इस खूनी सड़क में अपना बेशकीमती जीवन गंवाने वाले 104 लोगों के नाम पर अब तक करीब 4 करोड़ रुपये से ज्यादा का मुवावजा सरकारी खजाने से जारी किया गया है।
इस आंकड़े के अनुसार 4 करोड़ रुपये की मुआवजा राहत राशि को अगर 7 किलोमीटर में विभाजित करें तो लगभग 60 लाख रुपये प्रति किलोमीटर की औसत निकलती है। ऐसे में विश्व की सबसे बेहतर तकनीक और उत्तम दर्जे की निर्माण सामग्री का प्रयोग करके एक मीटर सड़क को सुरक्षित करने के लिए 6 हजार रुपये भी खर्च किये जाए तो 60 लाख रुपये में एक किलोमीटर और 4 करोड़ रुपये में पूरी 7 किलोमीटर सड़क को एक्सीडेंट प्रूफ बनाकर सैकड़ों अनमोल जीवन को बचाया जा सकता था।
आपको बताते चले वर्ष 2014 में इसी सड़क पर एक बस दुर्घटना में 21 मासूम लोगों द्वारा अपनी जान गंवाने के बाद मेजिस्टिरियल जांच बिठाई गई थी। उस दौरान भी जांच कमेटी के सदस्यों द्वारा अपनी रिपोर्ट में संकरी और जानलेवा सड़क को सुरक्षित करने के लिए क्रेश बेरिगेट लगाने की सिफारिश की गई थी। उस हादसे को भी अब करीब 7 साल बीत गए है और उसके बाद भी करीब 8 सड़क दुर्घटनाओं में 24 मासूम लोग इस खूनी सड़क का शिकार बन चुके है।
लिहाजा, इस बार भी पिकअप दुर्घटना में 11 लोगों द्वारा अपनी जान गंवाने के बाद प्रशासन द्वारा मामले की मेजिस्टिरियल जांच के लिए एसडीएम शिलाई की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल का गठन किया गया है। जिनके द्वारा हादसे के कारणों की जांच की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद डीसी सिरमौर को मामले की रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
पूर्व पंचायत प्रधान बहादुर सिंह, पूर्व उप-प्रधान धनवीर सिंह, अश्याड़ी पंचायत के प्रधान अनिल चौहान, राजेन्द्र चौहान, सुरेंद्र सिंह, जगपाल चौहान, कपिल सिंह, बलवीर कुमार आदि लोगों ने बताया कि यह सड़क बहुत संकरी और घुमावदार है। सड़क पर केवल एक वाहन के गुजरने की जगह है। कई मर्तबा संबंधित विभाग से सड़क सुरक्षा के लिहाज से क्रेश बेरिगेट लगाने की गुजारिश की गई मगर हर बार उनकी मांग को अनसुना किया गया है।
उधर, लोकनिर्माण विभाग मंडल शिलाई के अधिशासी अभियंता प्रमोद उप्रेती ने बताया कि समय-समय पर लोगों की मांग के अनुसार सड़क पर क्रेश बेरिगेट और पैरापिट का निर्माण करवाया गया है। उनके मुताबिक पूरी सड़क पर क्रेश बेरिगेट लगाना संभव नहीं है।
टिम्बी-बकरास सड़क मार्ग पर बीते 26 वर्षों में पेश आई विभिन्न सड़क दुर्घटनाएं और जान गंवाने वाले लोगों का आंकड़ा
* 1995 में हुई दुर्घटना में 5 लोग अपनी जान गंवा चुके है।
* 1997 में हुई टिप्पर दुर्घटना में 3 लोग मौत के आगोश में समा गए।
* 1998 में एक और टिप्पर दुर्घटना में 1 व्यक्ति की मौत हुई।
* 2002 में तीन अलग-अलग बोलेरो गाड़िया दुर्घटनाग्रस्त हुई जिसमें कुल 9 लोगों ने अपनी जान गंवाई।
* 2005 में टिप्पर दुर्घटना में 2 लोगों की मौत हो गई।
* 2007 में टिप्पर और मिनी बस हादसे का शिकार हुई जिसमें 10 लोग काल का ग्रास बन गए।
* 2012 में बोलेरो दुर्घटना में 14 लोगों की मौत हुई।
* 2012 में पिकअप दुर्घटना में 7 लोगों ने अपनी जान गंवाई।
* 2013 में बोलेरो दुर्घटना में 3 लोगों की मौत हुई।
* 2014 में निजी बस दुर्घटना में 21 लोग अपनी जान गंवा बैठे।
* 2015 में ऑल्टो गाड़ी हादसे का शिकार हुई और 4 लोगों की मौत हो गई।
* 2015 में ट्रैक्टर दुर्घटना में 1 व्यक्ति ने अपनी जान गंवाई।
* 2016 में मोटरसाइकिल दुर्घटना में 2 लोगों की जान चली गई।
* 2017 दुर्घटना में मिनी बस और बोलेरो कैम्पर के दुर्घटनाग्रस्त होने से 5 लोगों की मौत हो गई।
* 2018 में ऑल्टो दुर्घटना में 1 व्यक्ति की मौत हो गई।
* 2018 में टिप्पर दुर्घटना में 3 लोगों की मौत हुई।
* 2020 में टिप्पर दुर्घटना में 1 व्यक्ति की जान गई।
* 2021 में हाल ही में पेश आई पिकअप दुर्घटना में अब तक 11 लोगों ने अपनी अनमोल जान गवाई है।