पांवटा साहिब, 1 जुलाई : उत्तराखंड की सीमा पर बसी हिमाचल की आर्थिक नगरी पांवटा साहिब में बलजीत नागरा ने एक बार फिर ट्रक यूनियन की सरदारी हासिल कर ली है। हाल ही में चुनाव जीत कर पद पर वापसी कर ली है।
2002 से ट्रक यूनियन की राजनीति में सक्रिय नागरा वैसे तो खेती-बाड़ी भी करते हैं। हालांकि ट्रांसपोर्ट का कारोबार नागरा को दिवंगत पिता विचित्र सिंह से विरासत में मिला है, लेकिन उन्होंने अपने भाईयों अर्जुन सिंह व सतवंत सिंह के साथ इस कारोबार को अर्श पर पहुंचा दिया। पांवटा साहिब ट्रक यूनियन की सरदारी कई मायनों में अहम है। करीब 1234 ट्रकों की ढुलाई कब व कितने बजे होगी, कहां तक ट्रक जाएगा, इन बातों का फैसला यूनियन करती है।
बीजेपी की विचारधारा से जुड़े बलजीत नागरा 2019 में एक मर्तबा चुनाव हारे हैं। चूंकि यूनियन में सक्रियता का इतिहास लंबा है, लिहाजा वो इससे किनारा नहीं कर पाए। गत वर्ष कोविड के कारण चुनाव नहीं हो पाए थे। साधारण बोलचाल वाले बलजीत सिंह नागरा का कहना है कि इस समय अपने चार ट्रक हैं। चार बसें भी चल रही हैं। हालांकि इस बार जीत का अंतर कम रहा, लेकिन जीत तो जीत ही होती है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में बलजीत नागरा का कहना था कि वो अपने खेतों में गन्ने व धान की बिजाई करते हैं। पिता ने एक ट्रक व टैक्सी से कारोबार शुरू किया था। बता दें कि सिरमौर भाजपा में उपाध्यक्ष के पद पर भी रह चुके हैं, साथ ही अल्पसंख्यक मोर्चे में भी शीर्ष पद पर सेवाएं दे चुके हैं। चूंकि आर्थिक नगरी है, लिहाजा ट्रक यूनियन कई मायनों में अहम है। औद्योगिक क्षेत्र भी है तो यह शहर तेजी से विकसित हुआ है। उत्तराखंड के साथ-साथ हरियाणा की सीमा भी सटी हुई है। पांवटा साहिब कस्बे चंद किलोमीटर की दूरी के बाद दो राज्यों की सीमा में दाखिल हो सकें।
उल्लेखनीय है कि पांवटा साहिब उपमंडल की सीमा उत्तर प्रदेश से भी लगती है। बातचीत के दौरान बलजीत नागरा ने कहा कि वो हमेशा से इस बात को प्राथमिकता देते रहे हैं कि हरेक ट्रक मालिक को जायज हक मिले, ताकि वो अपने परिवारों का पालन-पोषण सही तरीके से कर सकें।