मंडी, 30 जून : देवभूमि की देव संस्कृति में अपना अहम योगदान देने वाले बजंतरियों को उनका हक दिलाने वाले लवण ठाकुर अब इस दुनिया में नहीं रहे। बुधवार सुबह शिमला में उपचार के दौरान उनका निधन हो गया। लवण ठाकुर 56 वर्ष के थे और पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। बताया जा रहा है कि करीब दो सप्ताह से लवण ठाकुर आईजीएमसी शिमला में उपचाराधीन थे। बुधवार सुबह उनका निधन हो गया। उनके निधन की खबर से मंडी जिला सहित पूरे प्रदेश में देव समाज से जुड़े लोगों और रंगकर्मियों में शोक की लहर देखने को मिल रही है।
बजंतरियों को दिलाया था उनका हक
देवी-देवताओं के साथ वाद्य यंत्र बजाने वालों को उनका हक दिलाने में लवण ठाकुर ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी। मंडी और कुल्लू जिला के बजंतरियों को आज शिवरात्रि और दशहरा महोत्सव के दौरान प्रशासन की तरफ से जो नजराना मिलता है वो लवण ठाकुर द्वारा चलाए गए आंदोलन की ही देन है। उन्होंने मंडी और कुल्लू में आंदोलन करके देव समाज के साथ जुड़े इस वर्ग को उनका हक दिलाया था। आज हर वर्ष इन महोत्सवों में आने वाले बजंतरियों को प्रशासन की तरफ से नजराना दिया जाता है।
एक बेहतरीन रंगकर्मी भी थे लवण ठाकुर
लवण ठाकुर एक बेहतरीन रंगकर्मी के रूप में भी जाने गए। उन्होंने थिएटर के साथ कुछ टीवी सीरियल में भी काम किया था। अगर आज मंडी जिला को सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाता है तो इसके पीछे लवण ठाकुर के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। मंडी शहर में उनका निवास स्थान सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बना रहता था। लवण ठाकुर ने रंगमंच को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
समाजसेवी के साथ आरटीआई एक्टिविस्ट भी थे लवण
समाज के दबे-कुचले वर्ग के लिए लवण ठाकुर ने हमेशा ही अपनी आवाज को बुलंद किया। जब देश में आरटीआई एक्ट लागू हुआ तो उसके माध्यम से कई घोटालों का पर्दाफाश किया और पात्र लोगों को उनका हक दिलाने में अपनी अहम भूमिका निभाई। लेकिन अब यह आवाज हमेशा के लिए खामोश हो गई है। लवण ठाकुर के निधन से छोटी काशी मंडी को एक अपूरणीय क्षति हुई है।