नाहन, 30 जनवरी: सिरमौर में जिला परिषद की सियासत में शतरंज की बिसात बिछी हुई है। भाजपा व कांग्रेस ऐसे मोड़ पर है, जहां से किसी की भी चेकमेट हो सकती है। यह अलग बात है कि कांग्रेस इस समय फ्रंट फुट पर है। निर्दलीय सहित कांग्रेस समर्थित 8 सदस्यों ने शनिवार को शपथ ले ली है, मगर भाजपा के 8 सदस्यों ने शपथ नहीं ली। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि भाजपा व कांग्रेस तय रणनीति के तहत कदम आगे बढ़ा रही है। शनिवार को भी ऐसा ही एक घटनाक्रम सामने आया।
भगाणी वार्ड से जीती कांग्रेस की अंजना शर्मा के शपथ न लेने को लेकर कांग्रेस ने तर्क दिया कि वह अस्पताल में दाखिल है। यही कारण है कि आज शपथ ग्रहण करने नहीं पहुंच पाई। अब यह तर्क सही है या गलत, इस बारे तो पुख्ता तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। अलबत्ता यह संशय जरूर जाहिर किया जा रहा है, कि कांग्रेस ने रणनीति के तहत ही 9 में से 8 पार्षदों को शपथ दिलवाई।
एक फरवरी की तारीख
चुनाव को लेकर 1 फरवरी की तारीख तय हुई है। इसमें अगर भाजपा के 8 सदस्य पहुंच जाते हैं और कांग्रेस भी एक बचे सदस्य की शपथ करवाती है तो भी चुनाव टल सकता है।पहली चुनावी बैठक में दो-तिहाई बहुमत होना चाहिए। यानी कांग्रेस 1 फरवरी को अपने सदस्यों को नहीं भेजती है तो निश्चित तौर पर चुनावी बैठक स्थगित हो जाएगी। दूसरी बैठक में साधारण बहुमत होगा, जिसमे 9 सदस्य भी अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव कर सकते हैं।
क्रॉस वोटिंग को लेकर
अगर भाजपा के 8 सदस्य भी दूसरी बैठक में मौजूद हुए तो दोनों ही दलों की क्रॉस वोटिंग को लेकर दिल की धड़कन नतीजे तक तेज रहेंगी। बीजेपी व कांग्रेस दावा कर रही है कि जिला परिषद की सत्ता पर कब्जा करेंगे। किसी एक के पक्ष में ये तभी संभव होगा, जब क्रॉस वोटिंग होगी।
ये बोले हर्षवर्धन
उधर कांग्रेस समर्थित 8 सदस्यों की शपथ के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि भाजपा द्वारा इस बात का झूठा प्रचार किया जा रहा है कि जिला परिषद पर सत्तारुढ़ राजनीतिक दल का कब्ज़ा होगा। उन्होंने एक अहम टिप्पणी में कहा कि भाजपा को अपने घर को सुरक्षित रखने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि भाजपा समर्थित कुछ सदस्य भी कांग्रेस के संपर्क में हैं।
ये भी अस्पष्ट
फिलहाल इस बात को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है कि चुनावी नतीजा घोषित होने के 7 दिन के भीतर ही शपथ होनी चाहिए या नहीं। अगर 7 दिन के भीतर शपथ नहीं होती तो मुश्किल हो सकती है, क्योंकि अब चुनाव को लेकर 1 फरवरी को बैठक रखी गई है। इस हिसाब से सदस्यों को निर्वाचित हुए 8 दिन हो चुके होंगे। एक दलील ये भी है कि शपथ को लेकर अवधि तय नहीं है। शपथ लेने के बाद ही सदस्य वोट डाल सकता है।