सोलन, 08 जनवरी : दुनिया के दूसरे सबसे ठंडे इलाके द्रास में नालागढ़ उपमंडल के जगतपुर के जोगो गांव के 41 वर्षीय बटालियन हवलदार मेजर कुलदीप सिंह ने शहादत पाई है। स्वतंत्रता सेनानी दोला सिंह के पोते की शहादत पर पूरा इलाका गमगीन हो गया है। 10 जुलाई 1999 को सेना में भर्ती हुए कुलदीप सिंह को बचपन से ही देश रक्षा का जज्बा था। ये जज्बा उन्हें दादा से विरासत में मिला था। भाई सुरिंदर सिंह भी बीएसएफ से रिटायर हुए है। इसके इलावा चचरे भाई भी सेना में सेवाएं दे रहे है।
बता दें कि द्रांस में तापमान माइनस 55 डिग्री तक भी पहुंच जाता है। 79 मीडियम आर्टिलरी रेजीमेंट में तैनात शहीद कुलदीप सिंह की पार्थिव देह शनिवार को पैतृक गांव पहुंचने की उम्मीद है। 18 नवंबर 2005 को रेणु देवी से परिणय सूत्र में बंधे शहीद कुलदीप सिंह अपने पीछे 14 साल की बेटी नवनीत व नौ साल की बेटी अमनदीप के अलावा बुजुर्ग माता-पिता गुरदास सिंह व दया कौर को भी छोड़ गए हैं।
उल्लेखनीय है कि कारगिल युद्ध के बाद से द्रास सेक्टर में भारतीय सेना की सुरक्षा व्यवस्था हाई अलर्ट पर रहती है। देश रक्षा में आर्टिलरी रेजिमेंट की एक अहम भूमिका होती है। 6 अप्रैल 1979 को जन्मे शहीद कुलदीप सिंह ने “ऑपरेशन स्नो लेपर्ड” के तहत शहादत पाई है। बताते हैं कि ठंड के दौरान सेना द्वारा इस ऑपरेशन के तहत ही सीमाओं पर चौकसी रखी जाती है।
उधर सैनिक कल्याण बोर्ड के उपनिदेशक मेजर दीपक धवन ने कहा कि 7 जनवरी 2021 की सुबह शहीद कुलदीप सिंह वीरगति को प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि शनिवार शाम तक पार्थिव देह को पैतृक गांव तक लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। अचानक बेटे की शहादत की जानकारी मिलने पर परिवार में दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। बताया जा रहा है कि माता-पिता हार्ट की बीमारी से भी पीड़ित है। जिन्हें भी शहादत की सूचना दोपहर तक नहीं दी गई थी।
भाई देवेंद्र सिंह ने एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क से बातचीत में कहा कि परिवार सदमे में है। लेकिन भाई की शहादत पर गर्व भी महसूस हो रहा है। दादा ने स्वतंत्रता के आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। भाई देश के काम आया है।