मंडी, 24 दिसंबर: जोगिंदर नगर उपमंडल के एक गांव में सितंबर महीने में एक नाबालिगा के साथ एक तांत्रिक द्वारा यौन शोषण कर उसे गर्भवती कर देने का सनसनीखेज मामला सामने आया था। इस मामले में अब एक नई कड़ी जुड़ गई है। नवांकुर एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी ने बाल विकास अधिकार संरक्षण आयोग से यह जानना चाहा है कि नाबालिगा ने टूटी कंडी शिमला के नारी निकेतन में रहते हुए इसी महीने की 7 तारीख को एक बच्चे को जन्म दिया था, वो नवजात आखिर है कहां…?
संस्था के प्रधान भूपेंद्र गुलेरिया व महासचिव राज कमल ने बताया कि नाबालिगा ने 7 दिसंबर को एक बेटे को जन्म दिया। मगर दो दिन बाद नाबालिगा अपने गांव अपने पिता के पास पहुंची तो उसके पास बच्चा नहीं था। इस बारे में उसे भी कुछ मालूम नहीं है। मामले में यह बात सामने आई कि बच्चे को गोद दे दिया गया है।
संस्था ने सवाल उठाए हैं कि क्या जन्म के दिन ही गोद लेने जैसी लंबी प्रक्रिया को पूरा कर दिया गया। गोद लेने वाले को पहले से ही सूचना दे दी गई थी कि जब शिशु जन्म लेगा तो उसी दिन उसे दे दिया जाएगा। संस्था ने इस पूरे मामले की छानबीन करने का आग्रह किया है। संस्था को आशंका है कि इस मामले में कोई बड़ी गड़बड़ी है। गोद लेने की प्रक्रिया बेहद लंबी व कानूनी है, जिसमें समय लगता है।
इस बारे में जिला बाल संरक्षण अधिकारी डी आर नायक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह मामला जब उनके संज्ञान में आया तो उन्होंने एक टीम गठित करके जांच की। जांच में पाया गया कि बच्चे को गोद दे दिया गया है। लड़की के पिता जो उसके संरक्षक हैं की सहमति ली गई है। उनके अनुसार गोद लेने की प्रक्रिया की प्रति भी उनके पास मौजूद है, जिसे लड़की के पिता को भी दिया गया है। उनके अनुसार चाइल्ड प्रोटेक्शन के तहत यह काम हुआ है तथा इसे बकायदा रजिस्टर द्वारा पंजीकृत किया गया है।