नाहन, 16 दिसंबर : सिरमौर के राजगढ़ विकास खंड में 33 पंचायतों में प्रधान पद के आरक्षण के रोस्टर को लेकर बवाल मच गया है। दरअसल, करीब-करीब एक सप्ताह से सोशल मीडिया में रोस्टर को लेकर एक सूची जारी हो रही थी, इसमें टाइप पंचायत के नाम के सामने हाथ की लिखावट में यह लिखा गया था कि किस वर्ग के लिए कौन सी पंचायत आरक्षित हो रही है।
कमाल की बात यह है कि 33 में से 32 पंचायतों का रोस्टर वही है, जो सोशल मीडिया में काफी समय पहले सामने आ चुका था। केवल एक नई बनी पंचायत कुंडू लवाना के आरक्षण ने अधिकारिक अधिसूचना से मेल नहीं खाया है। इससे साफ तौर पर जाहिर हो रहा है कि अधिकारिक अधिसूचना से पहले ही संबंधित पंचायत के लोगों को आरक्षण को लेकर स्थिति साफ हो गई थी। यही कारण था कि चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया गया था। हालांकि सोशल मीडिया में लिस्ट सामने आने के बाद कोई सवाल नहीं उठा रहा था, लेकिन अधिकारिक रोस्टर जारी होने के बाद इस पर सवाल उठने लगे हैं। मामला, एमबीएम न्यूज नेटवर्क तक भी पहुंचा था। पड़ताल के नतीजे पर पहुंचने से पहले ही इस मसले पर तीखी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई। कांग्रेस व सीपीआई(एम) भी सामने आ गई।
यह है सिरमौर में पंचायत प्रधान का आरक्षण रोस्टर..
पच्छाद कांग्रेस के कोषाध्यक्ष व नगर पंचायत राजगढ़ के पूर्व अध्यक्ष दिनेश आर्या ने कहा कि उपायुक्त द्वारा जारी किया गया रोस्टर हू-ब-हू वही है, जो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा था। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की सरकारी कर्मचारियों से मिलीभगत है। आर्या का कहना था कि केवल रोस्टर लीक ही नहीं हुआ है, बल्कि इससे छेड़छाड़ भी की गई है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की नीयत साफ है तो इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। आर्या ने कहा कि अगर विजिलेंस जांच की जाती है तो पूरी स्थिति साफ हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हालांकि सोशल मीडिया में पहले रोस्टर को देखा था, लेकिन उन्हें ऐसा लगा था कि अधिकारिक रोस्टर इससे मेल नहीं खाएगा। लिहाजा, सोशल मीडिया की लिस्टर पर प्रतिक्रिया का कोई औचित्य नहीं था। लेकिन हैरानी इस बात पर हुई कि अधिकारिक रोस्टर हू-ब-हू वही है, जो सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के पास पहले ही पहुंच गया था।
दीगर है कि जिला परिषद के वार्डों को लेकर भी जो क्यास थे, उनके अनुरूप ही सीटें आरक्षित हुई हैं। उधर, सीपीआई (एम) की जिला कमेटी के सदस्य व पच्छाद के सचिव आशीष पंवार ने कहा कि व्हाटसएप्प ग्रुप पर उन्हें काफी पहले ही रोस्टर मिल गया था। लेकिन इसमें तब तक कोई सच्चाई नहीं थी, जब कि अधिकारिक अधिसूचना जारी न हो जाए। उन्होंने कहा कि फेसबुक पर भी आज पोस्ट लिखी थी, जिसमें इस सूची के साथ ये सवाल पूछा था कि अगर वायरल सूची रोस्टर से मिलेगी तो निश्चित तौर पर प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो जाएंगे। दीगर है कि कुल्लू के एक खंड में भी रोस्टर लीक होने की खबरें आई थी, लेकिन वहां अधिकारिक रोस्टर बाद में जारी हुआ था।
इसी बीच एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने जिला पंचायत अधिकारी अंचित डोगरा से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन फोन रिसीव नहीं किया गया। उधर, जिला लोक संपर्क अधिकारी के माध्यम से जिलाधीश डाॅ. आरके परुथी ने कहा कि नियमों के तहत रोस्टर जारी किया गया है। सोशल मीडिया में क्या वायरल हुआ, इसकी कोई भी जानकारी नहीं है।