रामपुर/मीनाक्षी भरद्वाज, 1 दिसंबर: सीटू राज्य कमेटी व हिमाचल किसान सभा के आह्वान पर सीटू से संबंधित यूनियनों ने व किसान सभा ने रामपुर के विभिन्न स्थानों झाकड़ी, ज्यूरी, नोगली, दत्त नगर, बायल, कोटगाड, मंगलाड, कान्द्रि, बड़ागाँव, बाघ आदि पर मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा गैर जनतांत्रिक ढंग से पारित कराए गए किसान विरोधी, आम जनता विरोधी और कॉर्पोरेटपरस्त तीन किसान विरोधी कानूनों व बिजली विधेयक 2020 के खिलाफ संघर्षरत किसानों के समर्थन में प्रदर्शन किया।
प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सीटू जिलाध्यक्ष कुलदीप सिंह, सीटू राज्य उपाध्यक्ष बिहारी, किसान सभा जिला महासचिव देवकी नंद, किसान सभा कमेटी सदस्य जगदीश, प्रेम चौहान, दिनेश मेहता, सीटू क्षेत्रीय कमेटी संयोजक नरेन्द्र देष्टा, सीटू जिला उपाध्यक्ष राजेश, रिंकू राम, राजकुमार, संदीप, डोला राम, भूप सिंह, जितेंद्र , कैलाश, प्रेम सिंघानिया, भूप सिंह, अशोक, प्रेम, हेम राज ने कहा कि किसान 3 कृषि क़ानूनों को खारिज किए जाने और इन्हें वापिस लिए जाने की मांग के लिए शांतिपूर्ण तरीके से एकजुट है परंतु केंद्र की मोदी सरकार व हरियाणा की खट्टर सरकार इन किसानों के आंदोलन को कुचलने के लिए दमन कर रही है। केंद्र व हरियाणा की राज्य सरकार द्वारा किसानों पर जो बर्बर दमन किया है उसकी सीटू व किसान सभा कड़ी निंदा करती है। किसान आंदोलन को दबाने से स्पष्ट ज़ाहिर हो चुका है कि ये दोनों भाजपा सरकारें पूंजीपतियों व नैगमिक घरानों के साथ हैं व उनकी मुनाफाखोरी को सुनिश्चित करने के लिए किसानों की आवाज़ को दबाना चाहती हैं जिसे देश का मजदूर-किसान कतई मंज़ूर नही करेगा।देश के लाखों किसान ट्रेक्टरों के साथ आंदोलन के मैदान में हैं। सरकार की लाठी, गोली, आंसू गैस, सड़कों पर खड्डे खोदना, बैरिकेड व पानी की बौछारें भी किसानों के होंसलों को पस्त नहीं कर पाई हैं। किसानों के साथ मजदूर पूरी तरह एकजुट है।
केंद्र सरकार के जोर जबर्दस्ती से पारित कराए गए तीनों नए कृषि कानून पूर्णतः किसान विरोधी व बड़े-बड़े व्यापारियों और कृषि का व्यापार करने वाली कॉर्पोरेट कंपनी के हितों के अनुरूप है। एक तरफ आज कृषि भारी संकट में है और उसे मदद देने के बजाए केंद्र सरकार किसानों को तबाह करने पर तुली हुई है। इन क़ानूनों का असर यह होगा सरकार किसानों से फसलों को खरीदेगी नहीं और किसानों को बाजार में समर्थन मूल्य मिलेगा नहीं जिससे किसानों की लूट बढ़ेगी, इन क़ानूनों के माध्यम से किसानों की फसलों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए विदेशी और देशी कंपनियों और बड़ी पूंजीपतियों के हवाले करने की साज़िश रची जा रही है। इन क़ानूनों से फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा को समाप्त कर दिया जाएगा। आवश्यक वस्तु अधिनियम के कानून को खत्म करने से जमाखोरी, कालाबाजारी व मुनाफाखोरी को बढ़ावा मिलेगा। इससे बाजार में खाद्य पदार्थों की बनावटी कमी पैदा होगी व खाद्य पदार्थ महंगे हो जाएंगे।
कृषि क़ानूनों के बदलाव से बड़े पूंजीपतियों और देशी-विदेशी कंपनियों का कृषि पर कब्ज़ा हो जाएगा और किसानों की हालत दयनीय हो जाएगी। केंद्र सरकार के नए क़ानूनों से एपीएमसी जैसी कृषि संस्थाएं बर्बाद हो जाएंगी, न्यूनतम समर्थन मूल्य की अवधारणा खत्म हो जाएगी, कृषि उत्पादों की कालाबाज़ारी, जमाखोरी व मुनाफाखोरी होगी जिससे न केवल किसानों को नुकसान होगा अपितु आम जनता को भी इसकी मार झेलनी पड़ेगी। यह सब कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। सीटू व किसान सभा ने कहा कि यदि सरकार किसानों से बातचीत नहीं करती है व तीन काले क़ानूनों को वापिस नहीं लेती तो आंदोलन तेज किया जाएगा।