नाहन, 28 नवंबर : हिमाचल पुलिस में आरक्षियों के 21वें दस्ते की दीक्षांत परेड (Passing out Parade) में सिरमौर के बेटा-बेटी ने अपनी काबलियत का डंका बजाया है। ट्रक डाईवर (Truck Driver) की बेटी (Daughter) आरक्षी अर्चना शर्मा ने महिला वर्ग (Women) में परेड का नेतृत्व किया तो आरक्षी मनन चौधरी ने पुरुषों के वर्ग में परेड कमांडर (Parade Commander) की भूमिका निभाई। नाहन विकास खंड के जमटा के समीप महिपुर मार्ग पर सतना बर्मन की रहने वाली 22 वर्षीय अर्चना शर्मा के पिता प्रदीप चंद ट्रक डाईवर हैं। जबकि मां सुनीता शर्मा गृहणी हैं। माता-पिता की बेटियां होनहार हैं। जहां ग्रैजुएशन के बाद अर्चना ने पुलिस ज्वाइन की तो दूसरी बहन वन रक्षक के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही है।
बता दें कि इस बैच में 192 महिला आरक्षियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इसमें परेड को कमांड करने का मौका अर्चना को हासिल हुआ था। उधर नाॅन मेडिकल में बीएससी करने के बाद पांवटा साहिब के सालवाला के रहने वाले मनन चौधरी ने भी पुलिस विभाग में अपने कैरियर का आगाज शानदार तरीके से किया है। 24 साल के मनन चौधरी ने पुरुष वर्ग में दीक्षांत परेड को कमांड कर परिवार के साथ-साथ गृह क्षेत्र को गौरवान्वित किया है।
अहम बात यह है कि इस प्रशिक्षण में 642 पुरुष आरक्षी बने हैं। इसमें परेड को कमांड करने के लिए मनन चौधरी को चुना गया था। होनहार युवाओं ने अपनी काबलियत को साबित कर समूचे प्रदेश में सिरमौर को भी गौरवान्वित किया है। अपने जीवन में कैरियर की शानदार तरीके से शुरूआत की है। बता दें कि पासिंग आउट परेड में मनन चौधरी को आउटडोर (Outdoor) में सर्वश्रेष्ठ (Best) भी घोषित किया गया।
ये बोली अर्चना.
बातचीत के दौरान कांस्टेबल अर्चना का कहना था कि वो स्कूल के वक्त से ही एनसीसी (National Cadet Corp) में गहरी दिलचस्पी रखती थी। उस दौरान भी परेड को कमांड (Parade Command) किया है। वो पल बेहद ही ख़ुशी के थे, जब उन्हें बताया गया कि पासिंग आउट परेड में महिला टुकड़ी को कमांड करना है। उन्होंने बताया कि पिता पेशे से ट्रक चालक हैं, जबकि मां गृहणी है। छोटी बहन वनरक्षक है। वहीं छोटा भाई ग्रैजुएशन कर रहा है।
ये बोले मनन चौधरी.
कांस्टेबल मनन चौधरी से सीधा सवाल पूछा गया कि वो नाॅन मेडिकल (Non Medical) की पढ़ाई करने के बाद कांस्टेबल (Constable) क्यों बने तो सटीक जवाब में मनन ने कहा कि पुलिस में सेवा करने का शोक बचपन से ही रहा है। ये अल्टीमेट गोल नहीं है। तैयारी कर रहा हूं, ताकि प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं में आगे सफलता हासिल की जा सके। पिता कुलदीप सिंह चौधरी एक किसान है, जबकि मां राधा चौधरी एक शिक्षिका हैं।