शिमला, 4 दिसंबर : हिमाचल में युवा आईएएस व आईपीएस अधिकारियों (IAS & IPS) की दो टोलियों (Groups) की एक जिद्द (Stubbornness) है। कम उम्र में यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में सफल होने वाले ये अधिकारी (Officers) हिमाचली युवाओं को भी अपनी तरह बनता देखना चाहते है। ये ही उनकी जिद्द है। इसको लेकर न केवल स्वयं युवाओं से संवाद करते हैं, बल्कि पाठन सामग्री (Study Material) उपलब्ध करवाने में भी कोई संकोच नहीं करते। निशुल्क कोचिंग की व्यवस्था भी कर रहे है।
इस मकसद (Motive) से चंबा में एसडीएम के पद पर तैनात आईएएस शिवम प्रताप सिंह (IAS Shivam Partap Singh) ने सिरमौर में अपने प्रोबेशन पीरियड (Probation Period) के दौरान “प्रोत्साहन” कार्यक्रम शुरू किया था, जबकि अब मंडी में अतिरिक्त उपायुक्त (Additional Deputy Commissioner) के पद पर तैनात आईएएस जतिन लाल (IAS Jatin Lal) की कोशिश पर “समर्थन” कार्यक्रम शुरू हुआ है। समानता एक ही मकसद की है। “प्रोत्साहन” के केंद्र नाहन, चंबा व नालागढ़ में हैं, जबकि “समर्थन” की शुरूआत मंडी से हुई है। पांच में से तीन अधिकारी इस समय प्रोबेशन पीरियड पर हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि पहाड़ी राज्य (Hill State) में संसाधनों (Resources) की कमी की वजह से युवा UPSC में राष्ट्र की मुख्य धारा में पिछड़ते हैं। दिलचस्प बात यह भी है कि यूपीएससी के तीन अचीवर्स (Achievers) इस समय प्रोबेशन पीरियड पर हैं।
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IAS शिवम प्रताप सिंह की हिमाचल व उत्तराखंड के युवाओं को UPSC में कामयाब करने की जिद..
चपरासी की बेटी को बना दिया था एसडीएम
शायद आपको धुंधला सा याद होगा, कांगड़ा में एक एसडीएम ने अपने कार्यालय के चपरासी (Peon) की मेधावी 14 वर्षीय बेटी हिना ठाकुर को अपनी चेयर पर एक दिन के लिए बिठाया था। दसवीं कक्षा में 94 प्रतिशत अंक हासिल करने वाली हिना को सीट पर बिठाने का मकसद था कि वो भी भविष्य में एक आईएएस अधिकारी (IAS officer) बने।
खैर, वो आईएएस जतिन इस समय मंडी में अतिरिक्त उपायुक्त (Additional Deputy Commissioner) के पद पर तैनात हैं। युवाओं के लिए निशुल्क कोचिंग(Free Coaching) सुविधा “समर्थन” शुरू करने में अहम भूमिका निभाई है। 2016 बैच के आईएएस जतिन लाल ने बी टेक की पढ़ाई की है। बैंक अधिकारी पत्नी रेनु की प्रेरणा से यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में सफल हुए थे। धर्मशाला में एसडीएम रहते हुए दो रेस्क्यू ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई। हिमाचल प्रदेश में पहली मर्तबा सीएसआर मशीन से आरसी व लाईसेंस पीवीसी कार्ड पर प्रीटिंग शुरू करवाने के भी सूत्रधार रह चुके हैं। गौरतलब है कि यूपीएससी की परीक्षा में जतिन ने 42वां रैंक हासिल किया था।आईएएस जतिन का ताल्लुक दिल्ली से है।
एमबीएम न्यूज़ से बातचीत में आईएएस जतिन लाल ने कहा कि इस कार्यक्रम की शुरुआत में उपायुक्त ने युवाओ की हौंसला अफजाई की थी। इसके बाद प्रोबेशनर्स ने संवाद किया। अगले सत्र में एसपी शालिनी अग्निहोत्री को आमंत्रित कर रहे है। बता दे इस समय मंडी में एसपी के पद पर तैनात आईपीएस शालिनी अग्निहोत्री (IPS Shalini Agnihotri) ने एक साधारण परिवार में जन्म लेकर आज बड़ा मुकाम पाया है। हिमाचल के युवा उन्हें अपना रॉल मॉडल मानते है।
बहन की स्मृति में ठानी जिद्द
उत्तराखंड के कांशीपुर के रहने वाले शिवम प्रताप सिंह (IAS Shivam Partap Singh) ने यूपीएससी की परीक्षा में 52वां रैंक हासिल किया था। मसूरी में ट्रेनिंग के दौरान ही अप्रैल 2018 में अपनी होनहार बहन डाॅ. शिवाली सिंह को एक सड़क दुर्घटना में खो दिया था। ट्रेनिंग में ही इस बात को ठान लिया था कि बहन की स्मृति में ही कुछ करेंगे। सिरमौर में प्रोबेशन पीरियड के दौरान 4 फरवरी 2019 को युवाओं के लिए निशुल्क कोचिंग कार्यक्रम (Free Coaching Program) प्रोत्साहन शुरू किया।
नाहन मे 8 महीने का कोर्स पूरा भी हो चुका है। इसके अलावा चंबा, नादौन व नालागढ़ में भी ऑनलाइन कोचिंग(Online Coaching Centre) के केंद्र खोल चुके हैं। दीगर है कि आईएएस शिवम प्रताप सिंह ने देश के नामी कोचिंग सैंटर ‘‘विजन’’ से युवाओं को ऑनलाइन निशुल्क कोचिंग की व्यवस्था की है। हिमाचल के साथ-साथ वो उत्तराखंड में अपने पैतृक क्षेत्र में सैंटर संचालित कर रहे हैं। शुरूआती चरण में अपने वेतन से भी नाहन में कक्षाओं(Classes) को संचालित किया था। उनका कहना है कि प्रदेश के तमाम जिलों में केंद्र खोलने का प्रयास कर रहे हैं।
पड़ोसी चाचा की मदद से पहुंची थी ऑक्सफ़ोर्ड...
एक वक्त था, जब गरीबी का सामना कर रही थी। पिता खेत की फसल को बेचने के बाद किताबें मुहैया करवाते थे। एक समय ऐसा भी आया, जब अपनी काबलियत के दम पर स्कालरशिप (Scholarship) हासिल करने के बाद इंगलैंड, यूएसए व इंडोनेशिया जैसे देशो में रही, लेकिन मन में अपने ही देश के लिए कुछ करने का जज्बा था। 2017 में यूपीएससी की परीक्षा दी। 2018 में जब रिजल्ट आया तो इल्मा अफ़रोज़ (IPS Ilma Afroz) पहले ही प्रयास में 217वां रैंक हासिल कर परीक्षा को क्रैक कर चुकी थी। वह आईपीएस बन गई। इस समय मंडी में प्रोबेशनर अधिकारी (Probation officer) है।
प्रशासन की समर्थन मुहिम का हिस्सा है। गौरतलब है कि इल्मा का चयन जब विदेश में पढ़ाई के लिए हुआ था, उस समय इल्मा के पास किराया तक नहीं था। पड़ोसी चौधरी हरभजन सिंह की मदद से ऑक्सफ़ोर्ड तक पहुंच सकी थी। मात्र 14 साल की उम्र में इल्मा के सिर से पिता का साया उठ गया था। उस समय परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया। वह खेतों में भी काम करने लगी थी। इसके साथ पढ़ाई को जारी रखा।आईपीएस इल्मा अफ़रोज़ मूलत: उत्तर प्रदेश की रहने वाली है।
22 साल की उम्र में आईआरएस अधिकारी बन गए थे। राजस्थान के भीलवाड़ा से ताल्लुक रखने वाले आईएएस महेंद्र पाल गुर्जर (IAS Mahinder Pal) ने यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा को हिन्दी माध्यम (Hindi Medium) से क्रैक किया है। 2018 के बैच में हिन्दी माध्यम से पूरे देश भर से केवल पांच ही अभ्यार्थियों ने सफलता अर्जित की थी। इसमें सबसे उपर रहे।
यूपीएससी में 395वां रैंक हासिल हुआ था। अपने इलाके के पहले आईएएस अधिकारी हैं, जबकि राजस्थान से अपनी कम्युनिटी (Community) से आईएएस बनने वाले दूसरे हैं। नालागढ़ में एसडीएम के पद पर पोस्टिंग मिलने के चंद महीने में निशुल्क कोचिंग (Free Coaching) की व्यवस्था तो की ही है, साथ ही बैडमिंटन (Badminton) के दो कोर्ट भी तैयार करवाए हैं, ताकि क्षेत्र के आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को बैडमिंटन में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिले।
पंजीकृत बच्चों को निशुल्क जूते, रैकेट व डाईट की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है। एक यंग अधिकारी के तौर पर प्रशासनिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ कुछ हटकर करने का दायित्व भी उठाए हैं।
24 साल की उम्र में आईएएस…
मंडी में प्रोबेशनर आईएएस शहजाद आलम (IAS Shahzad Alam) की उम्र 26 साल भी नहीं है। बिहार (Bihar) के भोजपुर के रहने वाले शहजाद आलम ने पहले ही प्रयास में आईआईटी की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। यूपीएससी में भी पहले ही प्रयास में सफलता अर्जित की। किसान के बेटे शहजाद की प्रारंभिक शिक्षा (Elementary Education) भोजपुर के आरा गांव में ही हुई। बचपन से ही प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाले शहजाद आलम को हिमाचल कैडर मिला है। माता शमीमा खातून 2019 में शिक्षिका (Teacher) के पद से रिटायर हुई। शहजाद 7 भाई-बहनों में छठे नंबर पर हैं। भाई-बहन मेधावी हैं। परिवार में शिक्षक, इंजीनियर व डाॅक्टर तो थे, लेकिन यूपीएससी (UPSC) में परिवार (Family) के पहले किसी बच्चे ने सफलता पाई। आईएएस शहजाद भी मंडी प्रशासन के समर्थन अभियान का हिस्सा बन चुके हैं।
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